बीजिंग, 4 जुलाई 2025
चीन एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत को लेकर दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग से 32 किलोमीटर दूर चीन एक गुप्त ‘मिलिट्री सिटी’ (सैन्य शहर) का निर्माण कर रहा है, जो आकार में अमेरिका के पेंटागन से दस गुना बड़ा है। इस सैन्य परिसर को “प्रलय दिवस बंकर” (Doomsday Bunker) के रूप में डिजाइन किया गया है, जो परमाणु हमलों तक को झेल सकता है।
भविष्य की जंग के लिए चीन की तैयारी?
‘द सन’ की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह गुप्त परियोजना 2024 में शुरू हुई थी और पिछले एक साल में इसके निर्माण की गति तेज रही है। अमेरिकी खुफिया सूत्रों का मानना है कि यह तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाओं के मद्देनजर चीन की एक रणनीतिक तैयारी हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, यहां कमांड एंड कंट्रोल सेंटर समेत ऐसे बंकर तैयार किए जा रहे हैं जो भविष्य में किसी भी वैश्विक युद्ध के दौरान काम आएंगे।
पेंटागन से भी विशाल
जहां पेंटागन को दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग माना जाता है, वहीं चीन का यह नया सैन्य शहर 4 किलोमीटर से अधिक चौड़ा है और इसे भूमिगत बंकरों के साथ मल्टीलेयर सुरक्षा व्यवस्था से लैस किया जा रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों में स्पष्ट तौर पर निर्माण कार्य दिखाई दे रहा है, हालांकि चीन की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
क्यों बढ़ रही है चिंता?
- परमाणु-प्रूफ इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण
- जनता की पहुंच पूरी तरह बंद
- हवाई निगरानी, ड्रोन और कैमरा पर सख्त रोक
- बीजिंग के पास हाइकिंग ट्रेल्स भी बंद किए गए
यह सब संकेत देता है कि चीन इस प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह गुप्त रणनीति पर काम कर रहा है। रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन अपनी परमाणु क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहा है, जो आने वाले वर्षों में अमेरिका के बराबर हो सकती है।
भारत और अमेरिका की चिंता क्यों?
- अमेरिका को आशंका है कि यह साइट भविष्य की सैन्य कमान का बेस बन सकती है।
- भारत के लिए यह खतरे की घंटी इसलिए है क्योंकि क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ सकता है।
- चीन के पड़ोस में रह रहे देशों के लिए यह सुरक्षा और कूटनीतिक चिंता का विषय बन चुका है।
निष्कर्ष:
चीन का यह नया सैन्य परिसर महज एक रक्षा निर्माण नहीं, बल्कि दुनिया को दिखाने वाला संदेश है कि वह वैश्विक शक्ति के रूप में सैन्य दबदबा कायम रखने के लिए कितनी आक्रामक रणनीति अपना रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब इस ‘मिलिट्री सिटी’ पर टिक गई है, जो भविष्य की दिशा तय कर सकती है।