नई दिल्ली/रियाद। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुई डिफेंस डील ने मध्य पूर्व और वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। इस डील के बाद सऊदी अरब को बैठे-बिठाए परमाणु ताकत हासिल हो गई है, जबकि पाकिस्तान की भूमिका और इससे मिलने वाले लाभ पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
दोहा से सीधे सऊदी पहुंचे पाक पीएम
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर दोहा से सीधे सऊदी अरब पहुंचे। यहाँ उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और रक्षा मंत्री खालिद बिन सलमान से मुलाकात की। बैठक में डील के प्रस्ताव पर चर्चा हुई और दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए। सऊदी रक्षा मंत्री खालिद बिन सलमान ने इस डील को ऐतिहासिक करार दिया।
विशेषज्ञों का कहना है कि कतर पर इजराइल की बढ़ती गतिविधियों ने सऊदी को सतर्क कर दिया था। अमेरिकी सुरक्षा की मौजूदगी के बावजूद सऊदी ने पाकिस्तान को एक परमाणु संपन्न देश के रूप में विकल्प के तौर पर चुना।
पाकिस्तान को डील से क्या मिलेगा?
1. आर्थिक और निवेश का लाभ
सऊदी अरब रक्षा के मामले में पाकिस्तान से काफी आगे है, लेकिन कूटनीतिक और वित्तीय मामलों में पाकिस्तान को इसका फायदा मिलेगा। डील के तुरंत बाद पाकिस्तान ने सऊदी से निवेश की गुहार लगाई है।
- पाकिस्तान के रेल मंत्री हनीफ अब्बासी के मुताबिक, सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात से 2.5 बिलियन डॉलर रेलवे के आधुनिकीकरण में निवेश की उम्मीद है।
- इसके अलावा, हेल्थ और एनर्जी सेक्टर में भी सऊदी 121 मिलियन डॉलर निवेश करेगा।
- इस निवेश से पाकिस्तान में पुराने ढर्रे पर चल रहे रेलवे नेटवर्क और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आएगा।
2. कूटनीतिक लाभ
सऊदी की वैश्विक कूटनीति मजबूत है। अमेरिका, रूस-चीन और भारत से बेहतरीन रिश्तों के कारण यह डील पाकिस्तान को वैश्विक कूटनीतिक समर्थन दिला सकती है।
- अफगानिस्तान में टीटीपी से परेशान पाकिस्तान को सऊदी से मदद मिलने की उम्मीद है।
- सऊदी पाकिस्तान की कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में पैरवी कर सकता है।
3. धार्मिक और सामाजिक लाभ
सऊदी में मक्का और मदीना स्थित हैं। पाकिस्तान हर साल लाखों लोगों को हज भेजता है, लेकिन 2024 में 80 हजार पाकिस्तानी हज पर नहीं जा सके थे।
- नई डील के बाद पाकिस्तान धार्मिक मामलों में भी सऊदी से सुविधा और सहयोग ले सकता है।
- हज और उमराह के लिए यात्रियों की संख्या बढ़ाने में पाकिस्तान को मदद मिलने की संभावना है।

सऊदी-पाकिस्तान डील केवल रक्षा तक सीमित नहीं है। यह पाकिस्तान के लिए आर्थिक, कूटनीतिक और धार्मिक क्षेत्रों में नए अवसर लेकर आई है। वहीं, सऊदी अरब को यह डील परमाणु क्षमता तक पहुंचाने वाला कदम साबित हुई है।