नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अब भारत की भूमिका एक बड़े शांति निर्माता के रूप में उभर रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक हलचल के बीच चर्चा है कि जल्द ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की भारत की यात्रा कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो यह युद्धविराम की दिशा में एक अहम पड़ाव साबित हो सकता है।
भारत में यूक्रेन के राजदूत अलेक्जेंडर पोलिशचुक ने साफ कहा है कि रूस और भारत के लंबे संबंधों को देखते हुए, यूक्रेन भारत को संभावित शांति वार्ता का प्रमुख खिलाड़ी मानता है। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय संवाद लगातार बढ़ रहा है और भारत की भूमिका अब और अहम होती जा रही है।
यूक्रेनी राजदूत का बड़ा बयान
यूक्रेन के राष्ट्रीय ध्वज दिवस पर बोलते हुए राजदूत पोलिशचुक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा स्पष्ट किया है कि भारत युद्ध में तटस्थ नहीं है, बल्कि शांति, कूटनीति और संवाद का समर्थन करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान भी भारत-यूक्रेन बातचीत नए स्तर पर पहुंचेगी।
जेलेंस्की की भारत यात्रा को लेकर राजदूत ने कहा कि तारीख और एजेंडा तय करने की प्रक्रिया जारी है और जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा होगी। उन्होंने संकेत दिया कि इस दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर नया रोडमैप साइन हो सकता है।
मोदी की यूक्रेन यात्रा बनी मील का पत्थर
पिछले साल 23 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों में ऐतिहासिक बताया गया। इस यात्रा ने भारत और यूक्रेन के बीच रणनीतिक सहयोग की नई नींव रखी और दोनों लोकतंत्रों के बीच विश्वास को और गहरा किया।
क्यों महत्वपूर्ण है भारत की भूमिका?
राजनयिकों का मानना है कि रूस और भारत के बीच दशकों पुराने रिश्ते, साथ ही यूक्रेन के साथ हाल के वर्षों में बढ़ते सहयोग, भारत को एक अनूठी स्थिति में खड़ा करते हैं। यही कारण है कि दुनिया अब भारत से रूस और यूक्रेन के बीच संवाद की मध्यस्थता की उम्मीद कर रही है।
अगर पुतिन और जेलेंस्की दोनों की भारत यात्रा तय होती है, तो यह कदम न केवल रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान की दिशा में बड़ा बदलाव ला सकता है, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर शांति दूत के रूप में स्थापित करेगा।