नई दिल्ली/मॉस्को/कीव, 27 मई 2025 – रूस और अमेरिका के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंचता दिख रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो भारत-पाक संघर्ष में युद्धविराम का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें अब रूस से करारा जवाब मिला है। रूस ने यूक्रेन पर इतिहास का सबसे बड़ा ड्रोन और मिसाइल हमला करके पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। इसके बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या पुतिन ने भारत का परोक्ष बदला अमेरिका से लिया है?
भारत के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद ट्रंप की बयानबाज़ी
भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ट्रंप ने सामने आकर युद्धविराम का श्रेय लेने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव नहीं बढ़ा। इस बयान को भारत में मौकापरस्त और सस्ते प्रचार का प्रयास माना गया।
रूस की प्रतिक्रिया – कीव में तबाही, अमेरिका को घेरा
इस बीच, रूस ने यूक्रेन पर 355 ड्रोन और 9 क्रूज मिसाइलों से हमला किया। यह तीन साल पुराने युद्ध का अब तक का सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। इस हमले में यूक्रेन के पैट्रियट डिफेंस सिस्टम की दो यूनिट भी तबाह हो गईं, जो उसे अमेरिका से मिली थीं। हमले में 12 से अधिक मौतें और दर्जनों घायल हुए हैं।
यह हमला उस वक्त हुआ जब भारतीय सांसदों का एक डेलीगेशन रूस पहुंचने वाला था और यूक्रेनी ड्रोन हमले के कारण मॉस्को एयरपोर्ट पर 153 उड़ानें प्रभावित हुईं। भारतीय डेलीगेशन का विमान भी 40 मिनट तक हवा में चक्कर लगाता रहा।
क्या भारत के लिए रूस का समर्थन है यह हमला?
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, पुतिन का यह हमला सिर्फ यूक्रेन के खिलाफ नहीं बल्कि एक भौगोलिक और कूटनीतिक संदेश भी है। ट्रंप की बयानबाज़ी से नाराज़ भारत के हितों की रक्षा करना रूस की प्राथमिकता हो सकती है। पुतिन पहले भी भारत के साथ खड़ा होने के संकेत देते रहे हैं।
ट्रंप का गुस्सा – “रूस बर्बाद हो जाएगा”
इस हमले के बाद ट्रंप ने पुतिन पर भड़कते हुए कहा:
“रूस पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा। पुतिन पागल हो गया है।”
ट्रंप का यह बयान खुद उनके ही राजनीतिक विरोधाभास को उजागर करता है, क्योंकि वे भारत-पाक संघर्ष को शांति से निपटाने की कोशिश का श्रेय लेना चाहते थे, लेकिन अब रूस की आक्रामकता ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेर लिया है।
निष्कर्ष:
भारत-पाक संघर्ष से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध तक, वैश्विक राजनीति में अमेरिका की भूमिका अब संदेह और आलोचना के घेरे में है। पुतिन के इस हमले को केवल यूक्रेनी रणनीति नहीं बल्कि भूराजनीतिक शतरंज की एक चाल माना जा रहा है, जिसमें ट्रंप की बयानबाज़ी एक कमजोर मोहरा साबित हुई है।