रायपुर, छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपरा और संस्कृति के प्रतीक पहली तिहार ‘हरेली’ को आज धरसींवा विकासखंड के सांकरा (अंगना बाजार चौक) में बड़े ही धूमधाम और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया।
हरेली पर्व के अवसर पर छत्तीसगढ़ महतारी के चरणों में श्रद्धा के साथ नांगर, रांपा, गैती, कुदारी जैसे पारंपरिक कृषि उपकरणों की विधिवत पूजा की गई। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों ने गेड़ी चढ़ कर छत्तीसगढ़िया परंपरा को सजीव किया, वहीं नरियर फोड़ प्रतियोगिता ने उत्सव में उत्साह का रंग भर दिया।
आयोजन के दौरान छत्तीसगढ़ी व्यंजन गुरतुर चीला का प्रसाद तैयार कर सभी के बीच बांटा गया। जय छत्तीसगढ महतारी के नारों से गुंजायमान होता रहा, जिससे पूरे गाँव में एक सांस्कृतिक उल्लास व्याप्त रहा।
धरसींवा ब्लॉक के पदाधिकारी, ग्रामीणजन, महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में कार्यक्रम में शामिल हुए, जिससे आयोजन सफल और जन-भागीदारी से परिपूर्ण रहा। इस उत्सव को छत्तीसगढ़िया अस्मिता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया।
कार्यक्रम में उपस्थित छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, छत्तीसगढ़िया युवा क्रांति सेना, छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

गोविन्द वर्मा ने बताया कि – “हरेली तिहार हमर लोकपर्व हरे, ये हमर परंपरा, हमर संस्कृति अउ हमर धरती से जुड़े रहई के गारंटी आय। इहाँ के आयोजन मन हमर पीढ़ी ला अपन जड़ संग जोड़े रहिथे।”
यह पर्व खेती-किसानी, प्रकृति और परंपरा से गहरा जुड़ाव दर्शाता है। हरेली छत्तीसगढ़िया जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा है और हर साल नई उमंग के साथ मनाया जाता है।