संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी खुले पत्र पर राजनीति गर्मा गई है। पीएम के संदेश को लेकर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को संवैधानिक मूल्यों की बात करने से पहले स्वयं उन्हें समझना चाहिए और भविष्य में उनका उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री सच में संविधान का सम्मान करें, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुरक्षित रखें और आने वाली पीढ़ियों के लिए सकारात्मक उदाहरण पेश करें, तो यह देश के लिए कहीं अधिक लाभदायक होगा।
मसूद का सीधा हमला — “जो कह रहे हैं सही है, लेकिन खुद पालन करें”
“प्रधानमंत्री जो कह रहे हैं वह महत्वपूर्ण है, लेकिन बेहतर होगा कि वह खुद इस संविधान को समझें और इसका उल्लंघन न करें। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नष्ट न करें। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत जरूरी है।”
मसूद का बयान ऐसे समय पर आया है जब प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान दिवस पर नागरिकों से संवैधानिक कर्तव्यों के पालन और लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया था।

पीएम मोदी का संदेश—कर्तव्यों, लोकतंत्र और संविधान निर्माताओं को याद
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में—
- संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद,
- प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अंबेडकर,
- और संविधान सभा की महिला सदस्यों के योगदान
का विशेष उल्लेख किया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में गुजरात में संविधान गौरव यात्रा का आयोजन हुआ था।
साथ ही यह भी कहा कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ को पिछले वर्ष संसद के विशेष सत्र और देशभर के कार्यक्रमों के साथ मनाया गया था।
पीएम मोदी ने इस वर्ष के संविधान दिवस को सरदार पटेल और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती से जोड़ते हुए कहा कि रियासतों के एकीकरण और अनुच्छेद 370 पर लिए गए निर्णय संवैधानिक प्रक्रियाओं से गहराई से जुड़े थे।
कांग्रेस की लगातार आलोचना
इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी दावा किया था कि RSS का संविधान से कोई लेना-देना नहीं है और मोदी-शाह की जोड़ी संवैधानिक मूल्यों को कमजोर कर रही है।
संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, जब वर्ष 1949 में संविधान को अपनाया गया था। यह दिन देश में लोकतंत्र और संवैधानिक प्रतिबद्धता की पुनर्पुष्टि के रूप में देखा जाता है।
