ग्राम पंचायत सोनवर्षा के अंतर्गत आने वाले ग्राम राधारमण नगर के ग्रामीणों के लिए नया तालाब किसी वरदान से कम नहीं साबित हुआ है। कभी जहां गर्मियों में एक-एक बूंद पानी के लिए लोगों को मीलों पैदल चलना पड़ता था, वहीं अब यही तालाब ग्रामीणों की प्यास बुझाने के साथ-साथ खेती और आजीविका का आधार बन चुका है। यह परिवर्तन महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत कराए गए नवीन तालाब निर्माण कार्य से संभव हुआ, जिसकी लागत 12.80 लाख रुपए रही।
जल संकट से जूझते गांव में जल जीवन का नया अध्याय
राधारमण नगर गांव वर्षों से गंभीर जल संकट से गुजर रहा था। यहां का भूमिगत जल स्तर 450 फीट से नीचे चला गया था, जिससे हैंडपंप सूख जाते थे और गर्मियों में पानी के लिए ग्रामीणों को भारी परेशानी उठानी पड़ती थी। ऐसे में ग्राम पंचायत सोनवर्षा ने खदान के पास जल संरक्षण और संचयन के उद्देश्य से तालाब का निर्माण कराया। यह तालाब अब वर्षा जल को संरक्षित रखता है और पूरे साल ग्रामीणों के उपयोग के लिए पानी उपलब्ध कराता है।
तकनीकी दृष्टि से मजबूत निर्माण – हर बूंद का संरक्षण
तालाब निर्माण के दौरान तकनीकी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया। बांध की चौड़ाई और ऊंचाई को इस तरह तय किया गया कि वर्षा का पानी सुरक्षित रूप से जमा रह सके और बांध को कोई क्षति न पहुंचे। तालाब की गहराई भी अधिक रखी गई ताकि पानी लंबे समय तक टिक सके। पूरा कार्य महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत के मार्गदर्शन में पूरा किया गया, जिससे निर्माण के दौरान ग्रामीणों को रोजगार भी मिला।
परिवर्तन की दिशा में मील का पत्थर
तालाब निर्माण के बाद गांव की तस्वीर पूरी तरह बदल गई। पहले जहां खेत सूख जाते थे और फसलें मुरझा जाती थीं, वहीं अब खेतों में नमी बनी रहती है। इससे खेती की उत्पादकता बढ़ी है और किसानों के चेहरों पर संतोष की मुस्कान लौट आई है।
आजीविका का नया साधन – मछली पालन से बढ़ी आय
तालाब केवल जल संरक्षण का माध्यम नहीं रहा, बल्कि इसने ग्रामीणों को नई आमदनी का साधन भी दिया। ग्राम राधारमण नगर के ग्रामीण बाबू सिंह, जीत नारायण (जॉब कार्ड नं. 001/29), एक्का प्रसाद और रविशंकर (जॉब कार्ड नं. 001/79) ने मिलकर तालाब में 3000 मछली बीज छोड़े हैं। ग्रामीण तालाब की नियमित देखभाल करते हैं और मछली पालन से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। इससे उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है, साथ ही सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध रहता है।
ग्रामीणों की जुबान – अब पानी की नहीं कोई कमी

ग्राम के निवासी बाबू सिंह बताते हैं, “पहले गर्मियों में हमें पानी के लिए बहुत परेशानी होती थी। अब तालाब बनने से पीने और निस्तार का पानी आसानी से मिल जाता है। खेतों की सिंचाई भी हो जाती है और मछली पालन से अतिरिक्त आमदनी हो रही है। यह तालाब हमारे लिए अमृत सरोवर से कम नहीं।”
स्थायी विकास की मिसाल बना राधारमण नगर
आज सोनवर्षा-राधारमण नगर का यह तालाब जल संरक्षण, संचयन और आजीविका संवर्धन का प्रेरक उदाहरण बन गया है। इस पहल ने साबित कर दिया है कि यदि योजनाओं को सामूहिक प्रयास और तकनीकी समझदारी से लागू किया जाए, तो जल संकट जैसी चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है। ग्राम पंचायत सोनवर्षा का यह प्रयास अब मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में जल प्रबंधन का आदर्श मॉडल बन चुका है, जो अन्य ग्राम पंचायतों के लिए भी प्रेरणास्रोत है।
हर बूंद में समाई उम्मीद
राधारमण नगर का यह नवीन तालाब सिर्फ पानी का भंडार नहीं, बल्कि गांव की खुशहाली का प्रतीक बन गया है। इसने जल संरक्षण के साथ रोजगार, कृषि और मछली पालन के माध्यम से ग्रामीणों की आय में भी वृद्धि की है। यह कहानी बताती है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो हर बूंद से बदलाव संभव है — और यही तालाब उस परिवर्तन का साक्षी है जिसने गांव को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया है।
