नई दिल्ली:
देश में बहुप्रतीक्षित जातीय जनगणना की शुरुआत इस बार तय समय पर होने जा रही है। गृह मंत्रालय ने बुधवार को प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि जातीय जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी। पहले चरण की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी, जिसमें चार पहाड़ी राज्यों – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को शामिल किया गया है।
वहीं, दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा, जिसमें देश के बाकी राज्यों में जातियों की गिनती की जाएगी।
📌 जनगणना के साथ-साथ होगी जातियों की गिनती
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह जातीय जनगणना, जनसंख्या जनगणना के साथ ही कराई जाएगी। इस संबंध में 16 जून 2025 तक नोटिफिकेशन राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा।
सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को पहली बार स्वतंत्र भारत में जातीय जनगणना कराने की घोषणा की थी।
🗳️ राजनीतिक पृष्ठभूमि: विपक्ष की लंबे समय से मांग
जातीय जनगणना की मांग विपक्षी दलों द्वारा लंबे समय से की जाती रही है।
- राहुल गांधी ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में अहम कदम बताते हुए कई बार सरकार से मांग की थी।
- अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव जैसे नेता भी जातिगत आंकड़ों के आधार पर योजनाएं बनाने की वकालत करते रहे हैं।
🕰️ इतिहास: ब्रिटिश दौर में होती थी जाति जनगणना
- भारत में पहली बार 1881 में अंग्रेजों ने जातिगत जनगणना शुरू की थी, जो 1931 तक जारी रही।
- 1941 में भी जाति आधारित जनगणना हुई थी, लेकिन उसके आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं हुए।
- 1951 में स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना में केवल SC/ST वर्ग की गिनती की गई थी, वह भी आरक्षण व्यवस्था के तहत एक मजबूरी के रूप में।
⚖️ सरकारी तर्क: जातीय आंकड़ों से ‘विभाजन’ का डर
अब तक सरकार जातीय जनगणना कराने से बचती रही है, यह कहकर कि इससे देश में विभाजनकारी प्रवृत्तियों को बल मिलेगा। लेकिन अब यह पहला मौका होगा जब स्वतंत्र भारत में सभी जातियों की आधिकारिक गणना की जाएगी।
📍 मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- जातीय जनगणना दो चरणों में होगी
- पहला चरण: 1 अक्टूबर 2026, चार पहाड़ी राज्य
- दूसरा चरण: 1 मार्च 2027, बाकी राज्य
- जनगणना के साथ-साथ होगी जातियों की गिनती
- 16 जून 2025 तक प्रकाशित होगा अधिसूचना
- आजादी के बाद यह पहली जातीय जनगणना होगी
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