बेंगलुरु के प्रसिद्ध चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मंगलवार को मची भगदड़ में 11 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद जहां एक ओर मातम पसरा है, वहीं दूसरी ओर सियासी बयानबाजी ने जोर पकड़ लिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने घटना के लिए राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि बीजेपी ने राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
सीएम सिद्धरामैया का आरोप: क्रिकेट एसोसिएशन जिम्मेदार
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने साफ कहा कि इस घटना की जिम्मेदारी क्रिकेट एसोसिएशन की है। उन्होंने कहा,
“मैं इस दुखद घटना पर राजनीति नहीं करना चाहता, लेकिन बीजेपी इसे राजनीतिक रंग दे रही है। महाकुंभ जैसे आयोजनों में भी भगदड़ हुई है, लेकिन इंसानी जान के नुकसान पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
BCCI और IPL चेयरमैन ने झाड़ी जिम्मेदारी
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खुद को इस घटना से अलग बताया है।
BCCI सचिव देवजीत सैकिया ने कहा,
“यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें कुछ व्यवस्थागत चूक जरूर रही, लेकिन BCCI की कोई भूमिका नहीं थी। हमें इससे सीख लेनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।”
IPL चेयरमैन अरुण धूमल ने भी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा,
“बेंगलुरु में यह कार्यक्रम किसके द्वारा आयोजित किया गया, इसकी जानकारी हमें नहीं थी। अहमदाबाद में आधिकारिक जश्न पहले ही हो चुका था। स्टेडियम के अंदर मौजूद अधिकारियों को बाहर की स्थिति की कोई जानकारी नहीं थी।”
बीजेपी ने कांग्रेस सरकार को घेरा
कर्नाटक बीजेपी ने हादसे के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया। पार्टी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
“कांग्रेस सरकार की लापरवाही और अराजकता के कारण यह हादसा हुआ। भीड़ प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं थी, और प्रशासन पूरी तरह फेल रहा।”
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर संवेदना जताते हुए कहा,
“बेंगलुरु की यह दुर्घटना अत्यंत दुखद है। मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”
अब तक की स्थिति
- मृतक संख्या: 11
- घायल: दर्जनों लोग अस्पताल में भर्ती
- कारण: टिकट वितरण या जश्न समारोह के दौरान भीड़ अनियंत्रित होना
- जांच: प्रशासनिक और पुलिस स्तर पर प्रारंभिक जांच जारी
यह हादसा एक बार फिर आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है। सवाल उठता है कि क्या इस हादसे से कोई सीख ली जाएगी, या फिर इसे भी सियासी बयानबाजी की भेंट चढ़ा दिया जाएगा?