नई दिल्ली:
“21 दिन तक न नींद मिली, न चैन। आंखों पर पट्टी, गालियां, और हर रोज एक नया डर। लेकिन मैंने हार नहीं मानी।”
ये शब्द हैं बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ के, जो पाकिस्तान की हिरासत में 21 दिनों तक अमानवीय यातनाओं का सामना कर भारत लौटे हैं। उनकी यह आपबीती हर देशवासी की रूह को झकझोर कर रख देगी।
गलती से पार की सीमा, बन गया कैदी
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक अगले दिन, 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी के दौरान जवान पूर्णम कुमार शॉ गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए। भारत-पाक रिश्तों में बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसके बाद जो हुआ, वह एक भयावह सच्चाई है।
21 दिन न सोने दिया, न ब्रश करने
शॉ ने बताया कि पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें आंखों पर पट्टी बांधकर अलग-अलग स्थानों पर रखा। उन्हें न ब्रश करने की अनुमति मिली, न नहाने की। रातों को सोने नहीं दिया गया और लगातार गालियां देकर मानसिक रूप से तोड़ने की कोशिश की गई।
निकालना चाहते थे संवेदनशील जानकारी
पाक रेंजर्स की मंशा साफ थी — बीएसएफ की गतिविधियों, वरिष्ठ अधिकारियों और सीमा पर तैनाती से जुड़ी संवेदनशील जानकारी निकालना। जवान ने बताया, “बार-बार धमकाकर, डराकर, टॉर्चर कर मुझसे जबरदस्ती जानकारी निकालने की कोशिश हुई, लेकिन मैंने चुप्पी नहीं तोड़ी।”
परिवार की गुहार, सरकार की सख्ती
इस बीच उनकी गर्भवती पत्नी और परिवार ने भारत सरकार से सुरक्षित वापसी की गुहार लगाई। भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान से उनके तत्काल रिहा किए जाने की मांग की। भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हालात युद्ध जैसे बन गए। परंतु सीजफायर के ऐलान के बाद पाकिस्तान ने 14 मई को अटारी बॉर्डर पर शॉ को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया।
वापसी के साथ हुआ मेडिकल और डी-ब्रीफिंग
वतन वापसी के बाद पूर्णम शॉ का मेडिकल चेकअप और डी-ब्रीफिंग की गई। बीएसएफ ने उनकी हालत स्थिर बताई है, लेकिन फिलहाल उनकी तैनाती पर निर्णय लंबित है।
एक रेंजर के बदले एक जवान
सूत्रों के अनुसार, शॉ की वापसी के साथ ही भारत ने एक पाकिस्तानी रेंजर को रिहा किया, जिसे भारतीय सेना ने हिरासत में लिया था। यह अदला-बदली बीते कुछ वर्षों में दुर्लभ रही है।
पूर्णम कुमार शॉ की यह कहानी केवल एक जवान की आपबीती नहीं है, बल्कि यह सीमा पर तैनात हर भारतीय सैनिक की निस्वार्थ सेवा और बलिदान का प्रतीक है।