गूगल को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) द्वारा गूगल के खिलाफ चल रहे मामले में अदालत से गूगल क्रोम ब्राउजर को बेचने का फैसला सुनाया जा सकता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल पर सर्च मार्केट में गलत तरीके से वर्चस्व स्थापित करने का आरोप है। यह मामला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के रेगुलेशन से भी जुड़ा हुआ है।
गूगल क्रोम: गूगल के राजस्व का प्रमुख स्रोत
गूगल क्रोम ब्राउजर कंपनी के राजस्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमाई का मुख्य स्रोत विज्ञापन है। क्रोम ब्राउजर न केवल लैपटॉप बल्कि एंड्रॉइड और iOS आधारित स्मार्टफोन्स पर भी डिफॉल्ट रूप से दिया जाता है। DOJ का फैसला गूगल के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसके चलते कंपनी को क्रोम ब्राउजर के माध्यम से होने वाली आय का एक बड़ा हिस्सा खोना पड़ सकता है।
गूगल क्रोम की शुरुआत
गूगल क्रोम को साल 2008 में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज के लिए लॉन्च किया गया था। यह एक फ्री और पॉपुलर वेब ब्राउजर है, जो ओपन सोर्स Chromium Web Browser Project पर आधारित है। अपने तेज प्रदर्शन और उपयोग में आसानी के कारण यह दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय ब्राउजर बन गया है।
सर्च इंजन मार्केट में बदलाव की संभावना
अगर अदालत गूगल क्रोम ब्राउजर को बेचने का आदेश देती है, तो इससे सर्च इंजन मार्केट में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। सर्च इंजन इंडस्ट्री पहले ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रवेश के साथ बदलाव के दौर से गुजर रही है। गूगल ने AI-आधारित टूल Gemini लॉन्च किया है और इसे गूगल क्रोम में इंटीग्रेट कर रहा है।
क्या होगा गूगल के भविष्य पर असर?
गूगल क्रोम पर आने वाला फैसला न केवल कंपनी की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि सर्च इंजन मार्केट में अन्य खिलाड़ियों के लिए भी अवसर पैदा करेगा। वहीं, गूगल AI टूल्स और सेवाओं के माध्यम से अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
अगर DOJ का फैसला गूगल के खिलाफ जाता है, तो यह टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में ऐतिहासिक बदलाव का कारण बन सकता है।