नई दिल्ली। स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी लगातार बदल रही है, और इस बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण है eSIM (Embedded SIM)। पारंपरिक SIM कार्ड के मुकाबले eSIM धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है। यह डिजिटल SIM आपके फोन के हार्डवेयर में इनबिल्ट होती है, इसलिए इसे अलग से डालने या निकालने की जरूरत नहीं होती। भारत में फिलहाल Jio, Airtel और Vi चुनिंदा डिवाइस में eSIM सपोर्ट उपलब्ध कराते हैं।
eSIM क्या है
eSIM यानी Embedded SIM, पारंपरिक SIM का डिजिटल संस्करण है। यह फोन के मदरबोर्ड में पहले से मौजूद होती है। इसे एक्टिवेट करने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटर QR कोड या फोन सेटिंग्स का इस्तेमाल करते हैं। भारत में iPhone, Google Pixel और कुछ Samsung Galaxy मॉडल्स eSIM सपोर्ट करते हैं।
eSIM और नॉर्मल SIM में अंतर
- नॉर्मल SIM को फोन में डालना पड़ता है, जबकि eSIM इनबिल्ट होती है।
- eSIM में ऑपरेटर बदलना QR कोड स्कैन करने से संभव है, जबकि नॉर्मल SIM के लिए कार्ड निकालना जरूरी है।
- डिजिटल और फिजिकल दोनों SIM एक साथ इस्तेमाल की जा सकती हैं।
- फिजिकल SIM गुम हो सकती है, लेकिन eSIM चोरी या खो नहीं सकती।
- eSIM फोन के अंदर जगह बचाती है, जिससे कंपनियां स्लिम डिजाइन और बड़ी बैटरी दे सकती हैं।

भारत में eSIM के फायदे
- आसानी से ऑपरेटर बदल सकते हैं।
- गुम या टूटने का कोई खतरा नहीं।
- ट्रैवलर्स के लिए फायदेमंद, विदेश में तुरंत इंटरनेशनल प्लान एक्टिवेट किया जा सकता है।
- डुअल SIM का फायदा, एक नंबर काम के लिए और दूसरा पर्सनल इस्तेमाल के लिए।

eSIM की चुनौतियां
- सीमित डिवाइस सपोर्ट: फिलहाल यह सुविधा केवल महंगे स्मार्टफोन्स तक सीमित है।
- जटिल सेटअप: फिजिकल SIM की तरह तुरंत काम नहीं करती, एक्टिवेशन के लिए सेटिंग्स और QR कोड की जरूरत होती है।
- फोन बदलना मुश्किल: दूसरी डिवाइस में ट्रांसफर करने के लिए दोबारा सेटअप करना पड़ता है।
- सीमित ऑपरेटर: केवल Jio, Airtel और Vi ही सपोर्ट करते हैं।
- फोन खोने पर दिक्कत: डिवाइस डैमेज या खो जाने पर eSIM तुरंत ट्रांसफर नहीं हो पाती, इसके लिए ऑपरेटर से रिक्वेस्ट करनी पड़ती है।