नई दिल्ली। भगवान परशुराम, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, का जन्म महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका नाम ‘परशुराम’ उनके द्वारा धारण की गई विशेष कुल्हाड़ी के कारण पड़ा, जिसे ‘फरसा’ कहते हैं। परशुराम को शक्ति, न्याय और धर्म के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
परशुराम जयंती का महत्व
भगवान परशुराम को अमर माना जाता है और यह विश्वास है कि वे कलियुग के अंत में भगवान कल्कि को युद्ध की शिक्षा देंगे। परशुराम का जीवन एक आदर्श था, जिसमें उन्होंने अधर्म का नाश करने के लिए 21 बार क्षत्रियों का संहार किया। वे धर्म, न्याय और साहस के प्रतीक हैं और उनकी पूजा से भक्तों को आत्मविश्वास, निर्भयता और शांति मिलती है।
परशुराम जयंती का आयोजन विशेष रूप से शक्ति और ज्ञान के समन्वय का प्रतीक है। उनके जीवन से यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी धर्म के रक्षक और न्याय के पक्षधर का कार्य हमेशा समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए।

परशुराम जयंती कब है? | Parshuram Jayanti 2025 Date
पंचांग के अनुसार, परशुराम जयंती 29 अप्रैल, 2025 को मनाई जाएगी। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि शाम 5 बजकर 31 मिनट पर प्रारंभ होगी और 30 अप्रैल, 2025 को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था, इसलिए उनकी जयंती 29 अप्रैल को मनाई जाती है।
परशुराम जयंती की पूजा विधि | Parshuram Jayanti Puja Vidhi
- स्नान और शुद्धता: परशुराम जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- व्रत और पूजा का संकल्प: भगवान परशुराम का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- पूजा सामग्री: जल से भरा कलश, फूल, अक्षत, रोली, दीपक, गंगाजल, चंदन, तुलसी पत्र, नारियल, मिठाई, पंचामृत आदि तैयार करें।
- पूजा का आयोजन: घर के मंदिर में या साफ स्थान पर भगवान परशुराम की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और दीप जलाकर पूजा प्रारंभ करें।
- मंत्र जाप: भगवान विष्णु या परशुराम के मंत्रों का जाप करें और विभिन्न पूजा सामग्री अर्पित करें।
- दान: अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान करें। विशेष रूप से अन्न, वस्त्र, तांबा और चंदन का दान शुभ माना जाता है।

परशुराम जयंती का महत्व | Parshuram Jayanti Significance
भगवान परशुराम का जन्म अत्याचारी शासकों से पृथ्वी को मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। वे ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय गुणों से युक्त थे और शक्ति तथा ज्ञान का अद्भुत समन्वय प्रदर्शित करते थे। उनकी पूजा से भक्तों को आत्मविश्वास, निर्भयता और शांति प्राप्त होती है।
इस दिन किए गए दान और शुभ कार्य अक्षय फल देते हैं और यह तिथि अक्षय तृतीया के साथ मनाई जाती है, जिससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। भगवान परशुराम की पूजा शत्रुओं पर विजय और सुरक्षा प्रदान करती है।
क्यों मनाई जाती है परशुराम जयंती? | Why is Parshuram Jayanti Celebrated?
परशुराम जयंती का आयोजन भगवान परशुराम के जीवन और उनके कार्यों को याद करने के लिए किया जाता है। यह दिन उनकी वीरता, न्याय और धर्म के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है। साथ ही, यह दिन समाज में अच्छाई और धर्म की स्थापना के प्रति एक नया उत्साह जागृत करता है।
