धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण शिवभक्तों का पवित्र स्थल है ओंकारेश्वर
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के पवित्र तट पर स्थित ओंकारेश्वर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत गहरा है, जिसके कारण यह शिवभक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
धार्मिक महत्व
ओंकारेश्वर का ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के ओंकार स्वरूप का प्रतीक है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। स्कंद पुराण और शिव पुराण में इस मंदिर का विशेष उल्लेख किया गया है। नर्मदा नदी के दो भागों से मिलकर बना यह क्षेत्र “ॐ” आकार का प्रतीत होता है, इसलिए इसे ओंकारेश्वर कहा जाता है।
ऐतिहासिक महत्व
यह मंदिर प्राचीन समय से ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का केंद्र रहा है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने यहीं पर गुरु गोविंद भगवत्पाद से शिक्षा प्राप्त की थी और अद्वैत वेदांत का प्रचार किया था। मंदिर की स्थापत्य कला अद्भुत है, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।
यात्रा और धार्मिक अनुष्ठान
हर साल लाखों श्रद्धालु यहां महाशिवरात्रि, सावन मास और कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। मंदिर में अभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष आरती का आयोजन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
कैसे पहुंचे?
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन खंडवा है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग: इंदौर से लगभग 77 किमी दूर स्थित ओंकारेश्वर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
- हवाई मार्ग: इंदौर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है, जहां से टैक्सी या बस द्वारा ओंकारेश्वर पहुंचा जा सकता है।
ओंकारेश्वर धाम केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्यता का केंद्र है, जहां भगवान शिव के दर्शन मात्र से ही मन को शांति और मोक्ष की अनुभूति होती है।