वाराणसी। श्रावण मास का अंतिम सोमवार आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम बनकर काशी में देखने को मिला। बाबा विश्वनाथ के धाम में सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। रात्रि 12 बजे से ही मंदिर के बाहर लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं, जो भोर होते-होते हजारों की संख्या में तब्दील हो गईं। वर्षा की बूँदों के बीच भी भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ।

भोर की आरती और पुष्पवर्षा ने किया मंत्रमुग्ध
काशी विश्वनाथ मंदिर में अलसुबह मंगला आरती का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया। आरती के साथ हुई पुष्पवर्षा ने माहौल को और भी दिव्य बना दिया। सुबह 5 बजे मंदिर के कपाट खोले गए, जिसके बाद भक्तों ने जलाभिषेक की परंपरा का पालन करते हुए बाबा भोलेनाथ का पूजन आरंभ किया।
सावन के अंतिम सोमवार को जलाभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया जलाभिषेक मनोकामना पूर्ण करने वाला होता है।

रुद्राभिषेक की विधिवत पूजा ने बांधा भक्ति का समां
इस पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रुद्राभिषेक करने भी पहुंचे। इस विशेष अनुष्ठान के लिए भक्तों ने विधिवत तैयारी की। स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेने के बाद भक्तों ने शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, बेलपत्र, धतूरा, भांग और अन्य पूजन सामग्री अर्पित की।
पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय”, महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राष्टक स्तोत्र का सामूहिक जाप हुआ, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया।

काशी में भक्ति की बाढ़
बारिश की परवाह किए बिना भक्तजन दूर-दराज़ से बाबा विश्वनाथ के दर्शन हेतु काशी पहुंचे। मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर गलियों तक शिवभक्ति की गूंज सुनाई दी। हर कोई ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ भोलेनाथ की आराधना में डूबा नजर आया।
श्रद्धालुओं का कहना है कि यह सोमवार उनके लिए सिर्फ एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि एक आत्मिक अनुभव है, जिसने उन्हें अंदर से नई ऊर्जा दी है।
