खल्लारी माता मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के महासमुंद जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह मंदिर खल्लारी गांव के पास एक पहाड़ी पर स्थित है और मां दुर्गा के एक स्वरूप “खल्लारी माता” को समर्पित है। यह क्षेत्र धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
खल्लारी माता मंदिर का इतिहास:
- प्राचीनता और स्थापत्य:
यह मंदिर काफी प्राचीन माना जाता है और इसका उल्लेख लोककथाओं तथा किंवदंतियों में मिलता है। कहा जाता है कि यह स्थान सतयुग या त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है, और यहाँ देवी की पूजा राजा-महाराजाओं के काल से होती आ रही है। - पौराणिक मान्यता:
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, माता खल्लारी ने इस स्थान पर राक्षसों का संहार किया था। इसलिए यह स्थान शक्ति की उपासना का केन्द्र बन गया। - खल्लारी का नाम:
कहा जाता है कि “खल्लारी” शब्द की उत्पत्ति “खाल” (पहाड़ी) और “आरी” (दुर्गा के स्वरूप) से हुई है।
धार्मिक महत्व:
- नवरात्रि में विशेष पूजा:
नवरात्रि के दौरान यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मेला लगता है। माता को विशेष रूप से नैवेद्य, जागर, और डांडिया आदि से पूजा जाता है। - श्रद्धालुओं की आस्था:
माना जाता है कि माता खल्लारी के दर्शन से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और यहां पर माथा टेकने मात्र से संकट दूर होते हैं।
प्राकृतिक और सांस्कृतिक विशेषता:
- मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ तक पहुँचने के लिए काफ़ी सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। चढ़ाई के दौरान चारों ओर का दृश्य अत्यंत रमणीय होता है।
- आसपास के वन क्षेत्र और ग्रामीण परिवेश मंदिर की यात्रा को और भी विशेष बना देते हैं।