नई दिल्ली : कांवड़ यात्रा हर साल सावन महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए लाखों श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है। यह यात्रा 4 प्रकार की होती है, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व है। इस आर्टिकल में हम आपको कांवड़ यात्रा के प्रकार और इसके महत्व के बारे में जानकारी देंगे।
कांवड़ यात्रा के प्रकार:
- सामान्य कांवड़ यात्रा:
इस यात्रा में श्रद्धालु आराम कर सकते हैं लेकिन कांवड़ को जमीन पर कभी नहीं रखना चाहिए। कांवड़ को किसी पेड़ पर लटका सकते हैं या फिर स्टैंड पर रख सकते हैं। - डाक कांवड़ यात्रा:
इस प्रकार की यात्रा में श्रद्धालु बिना रुके चलते रहते हैं। वे तब तक नहीं रुकते जब तक जलाभिषेक नहीं कर लेते। यह यात्रा तेज़ गति से की जाती है। - खड़ी कांवड़ यात्रा:
इस यात्रा में भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। इस दौरान एक सहायक भी भक्त के साथ चलता है, जो उनकी मदद करता है। - दांडी कांवड़ यात्रा:
यह सबसे कठिन यात्रा होती है, जिसमें श्रद्धालु दंड बैठक देते हुए यात्रा पूरी करते हैं। इसे पूरा करने में लगभग एक महीने का समय लग सकता है।
कांवड़ यात्रा का महत्व:
कांवड़ यात्रा का प्रमुख उद्देश्य भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक करना है। मान्यता के अनुसार, समुद्रमंथन के दौरान भगवान शिव ने विष पान किया था, जिससे उनका गला नीला पड़ गया था। उस प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव पर जलाभिषेक किया जाता है, और इस जलाभिषेक से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

कांवड़ यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य नियम:
- कांवड़ जमीन पर न रखें:
हिंदू मान्यता के अनुसार, कांवड़ को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यह भगवान शिव का अपमान माना जाता है। थकान या आराम के दौरान कांवड़ को किसी विशेष स्टैंड पर रखना चाहिए। - तामसिक वस्तुओं से दूर रहें:
कांवड़ यात्रा के दौरान शराब, तंबाकू, मांसाहार और गाली-गलौज से बचना चाहिए। ये सभी भगवान शिव की भक्ति का अपमान करते हैं और यात्रा के पुण्य को समाप्त कर देते हैं। - ब्रह्मचर्य का पालन करें:
कांवड़ यात्रा में श्रद्धालुओं को शुद्धता और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। किसी भी प्रकार की अशुद्धता, गलत भाषा या नशे से बचना जरूरी है। - अहंकार और दिखावे से दूर रहें:
यह यात्रा ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है, न कि किसी प्रकार के प्रदर्शन का साधन। सोशल मीडिया पर दिखावा करने से भक्ति की भावना दूषित हो सकती है। प्रेम, श्रद्धा और नम्रता से की गई यात्रा ही भगवान शिव को प्रिय होती है।
कांवड़ यात्रा एक भक्ति यात्रा है, जो भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाती है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि वे इस यात्रा का पूरा पुण्य प्राप्त कर सकें।
