नई दिल्ली। सनातन धर्म में विशेष महत्व रखने वाली गोवर्धन पूजा, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, इस वर्ष 22 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में उत्साह के साथ मनाई जाएगी। यह पर्व दीपावली के दूसरे दिन, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। मथुरा, वृंदावन सहित देश के विभिन्न हिस्सों में इस दिन भक्त गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसके पौराणिक महत्व के बारे में।
गोवर्धन पूजा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर 2025 को शाम 5:54 बजे शुरू होगी और 22 अक्टूबर को रात 8:16 बजे समाप्त होगी। इसलिए गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी। शुभ मुहूर्त और समय इस प्रकार हैं:
- सूर्योदय: सुबह 06:26 बजे
- सूर्यास्त: शाम 06:44 बजे
- चंद्रोदय: सुबह 07:01 बजे
- चंद्रास्त: शाम 06:00 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:45 से 05:35 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:58 से 02:44 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:44 से 06:10 बजे तक
- अमृत काल: दोपहर 04:00 से 05:48 बजे तक

गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण की विशेष आराधना का पर्व है। पूजा की विधि इस प्रकार है:
- गोवर्धन पर्वत की आकृति: घर के आंगन या मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत, गाय, बछड़े और ग्वालों की आकृतियां बनाएं।
- पूजा सामग्री: रोली, चावल, फूल, धूप, दीप और जल तैयार करें।
- शुभ मुहूर्त में पूजा: शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा करें। उन्हें रोली, चावल, फूल, धूप, दीप और जल अर्पित करें।
- अन्नकूट भोग: दाल, सब्जी, कढ़ी-चावल, खीर, माखन-मिश्री जैसे व्यंजन बनाकर भोग लगाएं। कई भक्त छप्पन भोग भी चढ़ाते हैं।
- गायों की पूजा: गायों को स्नान कराएं, टीका लगाएं, फूल-माला पहनाएं और गुड़-चावल खिलाएं।
- परिक्रमा: गोवर्धन पर्वत की आकृति की सात बार परिक्रमा करें, साथ में श्रीकृष्ण के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- कथा और आरती: गोवर्धन पूजा की कथा सुनें, भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें और भोग को प्रसाद के रूप में बांटें।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के उस ऐतिहासिक कार्य को याद करने का पर्व है, जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाया था। पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्र के अहंकार को तोड़ने और प्रकृति के महत्व को दर्शाने के लिए श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को गोवर्धन पूजा शुरू करने को कहा। यह पर्व प्रकृति, गायों और पर्यावरण के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

उत्साह के साथ मनाया जाएगा पर्व
गोवर्धन पूजा के दिन मथुरा और वृंदावन में विशेष आयोजन होते हैं, जहां भक्त गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। यह पर्व भक्ति, प्रकृति संरक्षण और सामुदायिक एकता का संदेश देता है। भक्तों में इस पर्व को लेकर उत्साह चरम पर है, और तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं।