सावन का पहला रविवार इस वर्ष 13 जुलाई को आ रहा है, और इसे हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन बन रहे कई अनुकूल योग, ग्रहों की स्थिति और विशेष व्रत विधि के कारण भक्तों में उत्साह का माहौल है। शनि मीन राशि में वक्री, चंद्रमा मकर से कुंभ में संक्रमण और भद्रा काल के साथ मिलकर यह दिन धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम माना जा रहा है।
विशेष शुभ योग और मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त:
- समय: सुबह 11:59 से दोपहर 12:54 तक
यह मुहूर्त शुभ कार्यों के आरंभ के लिए अत्यंत अनुकूल है। - राहुकाल:
- समय: शाम 5:38 से 7:21 तक
राहुकाल में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य या पूजा से बचना चाहिए। - भद्रा काल:
- समय: सुबह 5:56 से रात 10:42 तक
इस समय में किए गए कार्यों को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। - त्रिपुष्कर योग एवं रवि योग:
- समय: रात 9:14 से 10:42 तक (त्रिपुष्कर योग)
- समय: सुबह 5:56 से रात 10:42 तक (रवि योग)
ये योग दिन भर के सभी शुभ कार्यों में सहायक सिद्ध होते हैं।
रविवार व्रत का महत्व
पुराणों (अग्नि और स्कंद पुराण) के अनुसार, सावन के पहले रविवार का व्रत रखने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:
- सुख-समृद्धि एवं आरोग्य: व्रत से पारिवारिक सुख-सम्मान, अच्छे स्वास्थ्य एवं मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है।
- आत्मबल एवं प्रतिष्ठा: सूर्य ग्रह की शक्ति बढ़ने से सरकारी कार्यों में सहयोग, पदोन्नति और राजकीय सम्मान में वृद्धि होती है।
- गुणकारी प्रभाव: जिनकी जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर या दुर्बल हो, उनके लिए यह व्रत विशेष फलदायी है।
सूर्य को आत्मा, पिता, सरकारी कार्य और उच्च पद का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना जाता है। इसलिए रविवार व्रत से सूर्य दोष का निवारण होता है और व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है।
व्रत पूजा की विधि
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें:
दिन की शुरुआत एक स्वच्छ स्नान एवं शांति से करें, जिससे मन शांत हो जाए। - पूजा स्थल की तैयारी:
मंदिर या पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें। एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर पूजा सामग्री रखें। - सूर्य देव का अर्घ्य:
- तांबे के लोटे में जल भरें।
- जल में अक्षत, रोली और फूल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
- मंत्र-पाठ एवं स्तोत्र:
- आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें।
- दान और विशेष उपाय:
- गुड़ और तांबे का दान: इस दिन गुड़ व तांबे का दान करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- भोजन एक निश्चित समय पर करें, जिसमें नमक का सेवन न करें।
- गरीबों को दान देकर सामाजिक सहायता प्रदान करें।
- वर्जित क्रियाएँ:
- काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
- मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना तथा तेल मालिश करना वर्जित है।
- तांबे के बर्तन बेचना भी उचित नहीं माना गया है।
नोट: व्रत का उद्यापन 12 रविवार व्रत पूर्ण करने के पश्चात किया जाता है।
संक्षेप एवं निष्कर्ष
सावन के पहले रविवार का दिन न केवल ग्रह-नक्षत्रों के संयोग के कारण, बल्कि उचित पूजा पद्धति और व्रत के माध्यम से भक्तों को समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने में सहायक होता है। यदि आप भी इस दिन अपनी आध्यात्मिक यात्रा को मजबूत करना चाहते हैं, तो उपरोक्त विधि एवं उपायों का पालन अवश्य करें।
इस प्रकार, सावन के पहले रविवार के दिन उचित पूजा, व्रत और दान-कार्य करने से आपको जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति हो सकती है।