पंडित महेंद्र उपाध्याय, वर्तमान समय में लगातार कई घटनाएं घट रही हैं जो हमें आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती हैं। ऐसे में यह प्रश्न महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्या हमारे गुरुजन, पितृ देव, कुल व ग्राम देवी-देवता और हमारे अपने घर के पूज्य देवता हमसे प्रसन्न हैं?
गुरु का आशीर्वाद – आध्यात्मिक मार्ग का पहला चरण
भारतीय संस्कृति में गुरु को परम पूज्य माना गया है। कहा जाता है कि गुरु के माध्यम से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है। यदि गुरु हमसे प्रसन्न नहीं, तो ईश्वर भी हमसे प्रसन्न नहीं हो सकते। गुरु का आशीर्वाद जीवन में आने वाले कई संकटों को दूर करने में सहायक होता है।
पितृ देव – घर की सुरक्षा के अदृश्य रक्षक
पितृ देवता हमारे पूर्वज होते हैं, जो आज भी हमें आशीर्वाद स्वरूप मार्गदर्शन देते हैं। उन्हें प्रसन्न रखने का अर्थ है – परिवार की एकता, संस्कार और मर्यादा का पालन करना। उनका रुष्ट होना पारिवारिक असंतुलन और मानसिक अशांति का कारण बन सकता है।
घर के देवी-देवता – हर पल हमारे साथ
अक्सर हम बाहरी पूजा स्थलों की ओर ध्यान देते हैं, लेकिन घर में विराजमान देवी-देवता का महत्व सबसे अधिक होता है। रोज़ाना ध्यान, पूजा और सत्कार से ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

ग्राम देवी-देवता – पूरे समुदाय के रक्षक
गांव के प्रमुख देवी-देवता, जैसे माता शीतला और अन्य ग्राम देवता, पूरे ग्राम की रक्षा करते हैं। उनके मंदिरों की सेवा, नियमित पूजा और ग्राम पर्वों का सच्चे भाव से पालन करना सामुदायिक समृद्धि के लिए आवश्यक है।
त्योहारों की तिथि और विधि का पालन अनिवार्य
ग्राम देवता को प्रसन्न रखने के लिए यह जरूरी है कि सभी धार्मिक त्यौहार सही तिथि, समय और विधि से मनाए जाएं। गलत तरीके से पर्व मनाने से उनका आशीर्वाद बाधित हो सकता है।
आत्ममंथन की आवश्यकता
अब समय आ गया है कि हम स्वयं से यह प्रश्न करें — क्या हम इन सभी के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन सही ढंग से कर रहे हैं? अगर नहीं, तो परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से होनी चाहिए।

डिस्क्लेमर:
यह लेख किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय को लक्ष्य करके नहीं लिखा गया है। यह केवल समाज में धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना को जाग्रत करने का एक प्रयास है। कृपया इसे व्यक्तिगत रूप से न लें। लेखक का उद्देश्य केवल अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों को जागरूक करना है कि यह विषय कितना महत्वपूर्ण है।