नई दिल्ली। विजयदशमी या दशहरा, जो बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है, 2 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी। दशहरा 2025 में रावण दहन और शस्त्र पूजा (आयुध पूजा) के लिए खास संयोग बन रहा है। इस पर्व पर रावण दहन के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा विशेष महत्व रखती है, जो साहस, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है। आइए जानते हैं रावण दहन के शुभ मुहूर्त और शस्त्र पूजा की संपूर्ण विधि।
रावण दहन 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार
- दशमी तिथि प्रारंभ: 1 अक्टूबर 2025, शाम 07:01 बजे
- दशमी तिथि समाप्त: 2 अक्टूबर 2025, शाम 07:10 बजे
- रावण दहन का शुभ मुहूर्त: 2 अक्टूबर 2025 को शाम 06:10 बजे से 08:30 बजे तक। इस दौरान विजय मुहूर्त और अपराह्नकाल का विशेष संयोग रहेगा, जो रावण दहन के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है।
रावण दहन का महत्व
- बुराई पर अच्छाई की जीत: रावण दहन भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है, जो असत्य और अहंकार पर सत्य और धर्म की जीत को दर्शाता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश: यह अनुष्ठान नकारात्मकता को दूर कर घर-परिवार में सकारात्मकता और शुभता लाता है।
- विजय का आशीर्वाद: श्रीराम की पूजा और रावण दहन से जीवन में सफलता, समृद्धि और बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है।

शस्त्र पूजा (आयुध पूजा) की विधि
दशहरे पर शस्त्र पूजा या आयुध पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा वीरता, सुरक्षा और कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए की जाती है। इसमें शस्त्रों, औजारों, वाहनों और कार्य से संबंधित उपकरणों की पूजा की जाती है।
शस्त्र पूजा की विधि
- तैयारी: प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और पवित्र करें।
- शस्त्रों की सफाई: शस्त्र (तलवार, बंदूक, धनुष-बाण आदि), औजार, मशीनरी या वाहनों को अच्छे से साफ करें और पूजा स्थल पर सजाएं।
- पूजा सामग्री: हल्दी, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य (प्रसाद) तैयार करें।
- पूजा प्रक्रिया:
- शस्त्रों पर हल्दी, चंदन और अक्षत लगाएं।
- फूल अर्पित करें और दीप जलाएं।
- धूप जलाकर नैवेद्य चढ़ाएं।
- निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
- आरती और प्रार्थना: आरती करें और परिवार की सुरक्षा, कार्यक्षेत्र में सफलता और बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।
- वाहन पूजा: यदि वाहन की पूजा कर रहे हैं, तो उसे भी सजाकर हल्दी-चंदन और फूल चढ़ाएं।

शस्त्र पूजा का महत्व
- साहस और शक्ति: शस्त्र पूजा से आत्मबल और साहस में वृद्धि होती है, जो जीवन में चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।
- कार्यक्षेत्र में समृद्धि: औजारों और मशीनों की पूजा से व्यवसाय और कार्यक्षेत्र में प्रगति होती है।
- सुरक्षा: वाहन पूजा से दुर्घटनाओं का भय कम होता है और यात्रा सुरक्षित रहती है।
- नकारात्मकता का नाश: यह पूजा जीवन से भय और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
दशहरा 2025: खास संदेश
दशहरा का पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म का मार्ग अपनाकर हम हर बुराई पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। रावण दहन और शस्त्र पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान हैं, बल्कि यह आत्मशक्ति और नैतिकता को मजबूत करने का अवसर भी हैं। इस दशहरे पर आइए संकल्प लें कि हम अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता और साहस को अपनाएंगे।