बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के हल्दौर में एक अनोखा मंदिर स्थित है, जिसे ‘भाई-बहन का मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है और रक्षाबंधन के पर्व पर यहां विशेष उत्साह देखने को मिलता है। 9 अगस्त 2025 को मनाए जाने वाले रक्षाबंधन के मौके पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और मंदिर परिसर में मेले और भंडारे का आयोजन होता है।
मंदिर की खासियत
हल्दौर के जंगल के बीच बने इस प्राचीन मंदिर में सतयुग से स्थापित भाई-बहन की पत्थर की मूर्तियां विराजमान हैं। रक्षाबंधन के दिन भक्त यहां विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और विभिन्न देवी-देवताओं के साथ-साथ भाई-बहन की मूर्तियों के समक्ष माथा टेकते हैं। नवविवाहित जोड़े भी इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
मंदिर के साथ एक प्रचलित कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि सतयुग में एक भाई अपनी बहन को हल्दौर से ले जा रहा था, तभी रास्ते में डाकुओं ने उन्हें घेर लिया। डाकुओं की बुरी नजर बहन पर पड़ने लगी, जिसके बाद भाई ने देवी-देवताओं से प्रार्थना की कि उन्हें इस संकट से बचाने के लिए पत्थर में बदल दिया जाए। भगवान ने उनकी पुकार सुन ली, और भाई-बहन दोनों पत्थर की मूर्तियों में परिवर्तित हो गए। तभी से इन मूर्तियों की पूजा शुरू हुई, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है।

रक्षाबंधन पर खास आयोजन
रक्षाबंधन के अवसर पर मंदिर में विशाल मेला और भंडारा आयोजित किया जाता है। बिजनौर के साथ-साथ आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मंदिर का अनोखा नजारा और भाई-बहन के प्रेम की कहानी इस स्थान को और भी खास बनाती है। सावन के महीने में चल रहे इस उत्सव के दौरान मंदिर परिसर श्रद्धा और उल्लास से भरा रहता है।
आस्था का केंद्र
यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि भाई-बहन के अटूट बंधन को भी दर्शाता है। रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के साथ राखी बांधती हैं, और इस मंदिर में उनकी यह प्रार्थना और गहरी आस्था के साथ पूरी होती है।