रायपुर। रायपुर से सटे सुंगेरा गांव में प्रशासन द्वारा महिंद्रा कंपनी को 2 एकड़ सरकारी जमीन देने के फैसले के खिलाफ ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। यह जमीन गांव के डैम से पानी लेने के लिए मोटर पंप लगाने हेतु आवंटित की गई है, जिससे सरोरा गांव स्थित कंपनी के प्लांट तक पानी पहुंचाया जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर डैम से कंपनी को पानी नहीं ले जाने देंगे, क्योंकि यह पानी गांव की निस्तारी और जीवन-जरूरतों के लिए आवश्यक है।
विरोध के बावजूद जारी है कार्य, गांव में जमीन की पहले से है कमी
गांव के लोगों का कहना है कि पहले से ही सरकारी जमीन की भारी कमी है, जिसका उपयोग चारागाह और अन्य सामुदायिक कार्यों के लिए किया जाता है। इसके बावजूद प्रशासन ने बिना सहमति के निजी उद्योग के लिए गांव की कीमती जमीन सौंप दी है। विरोध के बावजूद काम तेज़ी से जारी है और पुलिस तथा जिला प्रशासन की निगरानी में इसे अंजाम दिया जा रहा है।

800 फीट नीचे है जलस्तर, गांव के अस्तित्व पर संकट
ग्रामीणों के अनुसार, सुंगेरा गांव का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। गर्मियों में पानी 800 फीट से भी नीचे मिलता है। वहीं जिस डैम से कंपनी पानी लेने की योजना बना रही है, वही डैम गांव के लोगों की निस्तारी का मुख्य स्रोत है। ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह पानी प्लांट को दे दिया गया, तो गांव के लिए गंभीर जल संकट उत्पन्न हो जाएगा।

गांव में आंदोलन की तैयारी, महिलाएं-बच्चे भी हो रहे शामिल
ग्रामीणों ने इस अन्याय के खिलाफ अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा कर दी है। गांव में बैठकों का आयोजन किया गया है, जहां महिलाएं, बुज़ुर्ग और युवा एक साथ आकर आंदोलन के लिए आर्थिक सहयोग भी जुटा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि जरूरत पड़ी, तो वे भूख हड़ताल और धरने पर भी बैठेंगे।

प्रशासन समझौते की बात कह रहा, पर ग्रामीण तैयार नहीं
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन बार-बार कंपनी के साथ समझौता करने के लिए दबाव बना रहा है। जबकि इससे पहले जब विरोध हुआ था, तब प्रशासन ने शासकीय कार्य में बाधा का हवाला देकर 10 ग्रामीणों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और उन्हें जेल भी भेजा गया था। इसी कारण अब ग्रामीण किसी प्रकार के समझौते के पक्ष में नहीं हैं।

“गांव की 2 एकड़ सरकारी जमीन को उद्योगपतियों को मोटरपंप लगाने के लिए दे दिया गया है। पंचायत और गांव वालों की ओर से इस पर पूरी आपत्ति है।”
— तारण दास साहू, सरपंच, ग्राम पंचायत सुंगेरा
“हम गांव वालों के साथ मिलकर आंदोलन में सहयोग कर रहे हैं। हमारी मांग है कि जैसा एग्रीमेंट उद्योगपति से हुआ है, वैसा ही गांव वालों से भी हो। पानी पर पहला हक़ ग्रामीणों का है।”
— अमित बघेल, प्रदेश अध्यक्ष, जोहार छत्तीसगढ़
“अभी काम नहीं रोका गया है क्योंकि कंपनी के पास अनुमति है। हालांकि एक-डेढ़ साल पहले विरोध के चलते काम रोका गया था।”
— आशुतोष देवांगन, एसडीएम, तिल्दा