शिक्षकों की नियुक्ति से ग्रामीणों में खुशी, शिक्षा की लौ फिर जली
रायपुर, छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति अब ग्रामीण अंचलों में शिक्षा की नई रोशनी बनकर उभर रही है। बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड के दूरस्थ गांव खपराखोल में वर्षों से शिक्षकविहीन रहे शासकीय प्राथमिक शाला में अब नियमित शिक्षकों की नियुक्ति के बाद विद्यालय में फिर से शिक्षा का वातावरण बन गया है।
राज्य सरकार द्वारा लागू युक्तियुक्तकरण नीति के अंतर्गत श्री अशोक क्षत्री और श्री सुनील सिंह पैकरा की पदस्थापना खपराखोल स्कूल में की गई है। पहले यहां वैकल्पिक व्यवस्था के तहत आसपास के स्कूलों से अस्थायी शिक्षकों से पढ़ाई करवाई जा रही थी, लेकिन अब नियमित शिक्षक मिलने से बच्चों की पढ़ाई को निरंतरता और गुणवत्ता मिल रही है।
नवनियुक्त शिक्षकों ने पदभार ग्रहण करते ही स्कूल में कक्षाएं संचालित करना शुरू कर दिया और साथ ही घर-घर जाकर पालकों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। इसका परिणाम यह हुआ कि वर्तमान में विद्यालय में 46 विद्यार्थी नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे हैं और इस वर्ष 7 नए बच्चों ने प्रवेश लिया है।
विद्यालय परिसर में अब बच्चों की हँसी, पढ़ाई की गूंज और सीखने की ललक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है। छात्राएं आंचल, कुमकुम और भूमिका ने बताया कि अब उन्हें पढ़ाई में बहुत आनंद आता है और शिक्षक उन्हें बेहद अच्छे से पढ़ाते हैं।
गांव के पालक भी हैं उत्साहित
पालक मेलूराम जगत ने बताया कि उनकी बेटी अब तीसरी कक्षा में पढ़ रही है और नियमित शिक्षक मिलने से अब उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं है। इसी तरह सुखसागर मरावी, मनहरण दास मानिकपुरी और मंगलिन नेताम ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताते हुए कहा कि सरकार ने खपराखोल जैसे छोटे और सुदूर गांव की शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देकर सराहनीय कार्य किया है।
शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव का प्रतीक
खपराखोल की यह कहानी केवल एक गांव की नहीं, बल्कि यह राज्यभर में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक बदलाव का प्रतीक बन गई है। युक्तियुक्तकरण नीति ने यह साबित कर दिया है कि जब शासन की नीति और नीयत मजबूत होती है, तो शिक्षा के अंधेरे कोनों में भी उजाला लाया जा सकता है।
यह पहल न केवल स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कर रही है, बल्कि गांवों में उम्मीद, आत्मविश्वास और उज्ज्वल भविष्य का आधार भी बन रही है।