रायपुर/कोटा। छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में की गई भारी बढ़ोतरी को लेकर आम जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष युवा कांग्रेस और रायपुर पश्चिम विधानसभा के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय के प्रतिनिधि मनोज गोपाल ‘मीत’ ने बिजली दरों में वृद्धि को अन्यायपूर्ण बताते हुए तीखा विरोध दर्ज किया है।
मीत ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पहले ही 200 यूनिट मुफ्त बिजली योजना को बंद कर दिया गया, और अब बिजली दरों में 15 से 20% तक की बढ़ोतरी से किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग की आर्थिक स्थिति और अधिक डांवाडोल हो जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बिजली नियामक आयोग आम उपभोक्ताओं से कमर्शियल उपभोक्ताओं और विभागीय घाटों की भरपाई करवा रहा है।
85000 उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा अतिरिक्त भार
बिजली बिल हाफ योजना का लाभ पहले जिन उपभोक्ताओं को मिल रहा था, वे अब सीधे प्रभावित होंगे। मीत ने बताया कि लगभग 85,000 उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार पड़ेगा, जो पहले राहत महसूस कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर, महज ₹200 के बकाया पर भी आम उपभोक्ताओं की बिजली काट दी जाती है, जबकि सरकारी विभागों और उद्योगों पर बड़े पैमाने पर बकाया होने के बावजूद उनसे वसूली नहीं की जाती।
लुका-छिपी में हुई जन सुनवाई
मनोज गोपाल मीत ने यह भी कहा कि बिजली दर वृद्धि पर जनसुनवाई को गुपचुप तरीके से किया गया, जिससे आम जनता को अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिला। लो वोल्टेज और बिजली कटौती की समस्याएं पहले से ही आम हैं और ऊपर से बिजली दरों में वृद्धि करना जनता के साथ सीधा अन्याय है।
कोयला राज्य होने के बावजूद कटौती
मीत ने तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ देश के कई हिस्सों को कोयला सप्लाई करता है, इसके बावजूद प्रदेश में बिजली की कटौती और खराब वोल्टेज की समस्या बनी हुई है। ऐसे में जनता से बार-बार दर वृद्धि के माध्यम से वसूली करना गलत है।
कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन होगा तेज
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बिजली दर वृद्धि को जल्द वापस नहीं लिया गया तो कांग्रेस कार्यकर्ता व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। मीत ने कहा, “जब बिजली की आपूर्ति पर्याप्त है, तो हर साल दरों में बढ़ोतरी करना केवल जनता को लूटने का तरीका है।”
बिजली दरों की बढ़ोतरी को लेकर अब सियासी सरगर्मी भी तेज होती जा रही है, और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सरकार को कड़ा जनविरोध झेलना पड़ सकता है।