कोंडागांव नहरपारा की रहने वाली आदिलक्ष्मी यादव का जीवन कभी आर्थिक तंगी और संघर्षों से घिरा हुआ था। परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए वे दूसरों के घरों में भोजन बनाकर किसी तरह गुजारा करती थीं। लेकिन उनके मन में हमेशा आत्मनिर्भर बनने और परिवार को बेहतर भविष्य देने का सपना था।
इस सपने को साकार करने में छत्तीसगढ़ सरकार की ‘दीदी ई-रिक्शा योजना’ ने अहम भूमिका निभाई। श्रम विभाग के अधिकारियों से योजना की जानकारी और आर्थिक सहायता की प्रक्रिया समझने के बाद उन्होंने ई-रिक्शा खरीदी। छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत होने के कारण उन्हें एक लाख रुपये की सहायता राशि भी प्राप्त हुई।
आज आदिलक्ष्मी स्वयं का ई-रिक्शा चलाकर प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये की आमदनी कर रही हैं। इससे वे न केवल ईएमआई किस्त समय पर भर पा रही हैं, बल्कि अपने परिवार का भरण-पोषण भी अच्छे से कर रही हैं।
आदिलक्ष्मी भावुक होकर बताती हैं कि कभी जिन सड़कों पर वे दूसरों के घर काम करने के लिए पैदल चला करती थीं, आज उन्हीं सड़कों पर अपने ई-रिक्शा की सवारी करवाती हैं। उन्होंने कहा कि मेहनत और सही अवसर मिलने पर महिलाएं भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं।
यह योजना न केवल आदिलक्ष्मी जैसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि समाज में महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल भी प्रस्तुत कर रही है। आदिलक्ष्मी ने शासन से मिली सहायता के लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त किया।