भिलाई। बोधगया महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन अब राष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है। इसी क्रम में आज भिलाई में समता सुरक्षा सेना शाखा चरोदा द्वारा विशाल महारैली का आयोजन किया गया। चरोदा बस स्टैंड से निकली यह रैली भिलाई-3 एसडीएम कार्यालय पहुँची, जहाँ आंदोलनकारियों ने ज्ञापन सौंपकर महाबोधि महाविहार की वास्तविक मुक्ति की मांग दोहराई।
रैली में भारी संख्या में बौद्ध समाज के लोग शामिल हुए। सड़कों पर गूंजते नारों और हाथों में तख्तियां लिए लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। आंदोलनकारियों का कहना था कि महाबोधि महाविहार केवल बौद्धों की आस्था का प्रतीक है और उसे बौद्ध समाज को सौंपे बिना न्याय अधूरा रहेगा।
महारैली में भारतीय बौद्ध महासभा के प्रदेश महासचिव भोजराज गौरखेड़े ने आंदोलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह सिर्फ किसी एक समाज का मुद्दा नहीं, बल्कि भारत की विरासत और न्याय की लड़ाई है। समता सुरक्षा सेना के आयोजक महेंद्र चौहान, अविनाश मेश्राम, प्रवीण घोड़ेसवार, नेमीचंद धगेश और मो. अफसर सहित अनेक कार्यकर्ताओं ने आंदोलन की अगुवाई की।
आमजन की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने भी इस आंदोलन का समर्थन किया। कई नागरिकों ने कहा कि बौद्ध समाज की यह मांग पूरी तरह न्यायोचित है। भिलाई निवासी एक युवक ने कहा, “हमारी पीढ़ियाँ बोधगया को भारत की पहचान मानती हैं। इसे उसकी असली संरक्षकों को लौटाना ही ऐतिहासिक न्याय होगा।” वहीं कई महिलाएँ बच्चों के साथ रैली में शामिल हुईं और उन्होंने आंदोलन को जनआंदोलन का रूप देने का आह्वान किया।
प्रशासन का रुख
रैली के बाद प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया गया कि ज्ञापन उच्च अधिकारियों तक पहुँचाया जाएगा और आंदोलन की मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। हालांकि आंदोलनकारियों ने साफ कहा कि केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा, जब तक महाबोधि महाविहार की पूर्ण मुक्ति नहीं होती तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
इस महारैली ने यह साफ कर दिया है कि महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन अब एक राष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है। भिलाई से उठी यह आवाज देशभर में गूंज रही है और आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज होने की संभावना है।