स्वरोजगार और समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की दिशा में मिली नई राह
बीजापुर जिले के 32 आत्मसमर्पित माओवादियों ने माओवाद का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटते हुए कुक्कुटपालन और बकरीपालन में प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण जगदलपुर स्थित क्षेत्रीय स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में एक माह तक चला, जिसमें उन्हें उन्नत नस्लों का चयन, चारा प्रबंधन, संतुलित आहार, टीकाकरण, रोग पहचान और उपचार के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, ऋण प्राप्त करने और उत्पाद बाजार तक पहुँचाने की रणनीति भी सिखाई गई।
एक पूर्व माओवादी ने कहा, “जंगल में जीवन कठिन और खाली था। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल पर लागू पुनर्वास नीति से अब हम अपने परिवार के लिए सम्मानजनक और स्थिर जीवन जी सकते हैं।”

सुरक्षा बलों के कैंपों के खुलने से अब शासन की योजनाएं गांव-गांव तक पहुँच रही हैं। माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में नियद नेल्लानार योजना के माध्यम से गांवों का विकास और बाजार तक पहुंच स्थापित करने से पूर्व माओवादी अब अपने स्वरोजगार में लाभ देख सकते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति का उद्देश्य आत्मसमर्पित लोगों को सम्मानजनक आजीविका के साधन प्रदान करना है। अधिकारियों के अनुसार प्रशिक्षण के साथ वित्तीय सहायता, बैंक ऋण मार्गदर्शन और स्थानीय मैदानी अमले की सहायता भी प्रदान की जा रही है।

बीजापुर के इन 32 पूर्व माओवादियों का कौशल प्रशिक्षण आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम है और यह बस्तर क्षेत्र में शांति और विकास की नई मिसाल पेश करता है। यह दिखाता है कि हिंसा और बंदूक छोड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए हुनर और सम्मान भरा भविष्य संभव है।
