पुण्यतिथि: 22 फरवरी
छत्तीसगढ़ की धरती अनेक वीरों और महापुरुषों की कर्मभूमि रही है। इन्हीं में से एक महान विभूति थे डॉ. खूबचंद बघेल, जिन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक चेतना को एक नई दिशा दी। वे छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के सबसे पहले समर्थक थे और उन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा, जनजागरण और सामाजिक सुधार के लिए समर्पित कर दिया। उनकी पुण्यतिथि 22 फरवरी को समर्पण और प्रेरणा का दिन माना जाता है।
जीवन परिचय
- जन्म: 19 जुलाई 1900, ग्राम पथरी, रायपुर
- पिता : जुड़ावन प्रसाद
- माता : केकती बाई
- पत्नी :राजकुँवर
- मृत्यु: 22 फरवरी 1969
- शिक्षा: नागपुर विश्वविद्यालय से एमबीबीएस
- व्यवसाय: स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ, लेखक
डॉ. खूबचंद बघेल का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की, लेकिन समाज सेवा और राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने अपने चिकित्सकीय पेशे से ज्यादा समाज सुधार और जनसेवा को प्राथमिकता दी।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
डॉ. खूबचंद बघेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय सेनानी थे। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में भाग लिया और कई बार जेल गए। उन्होंने अपने विचारों और गतिविधियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में आज़ादी की लौ जलाने का काम किया। उनका उद्देश्य न केवल अंग्रेज़ी हुकूमत को उखाड़ फेंकना था, बल्कि भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियों को भी समाप्त करना था।
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की कल्पना
डॉ. बघेल छत्तीसगढ़ को एक अलग राज्य के रूप में देखने वाले सबसे पहले नेता थे। 1955 में उन्होंने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग उठाई और इसके लिए जनता को जागरूक करने का काम किया। वे मानते थे कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, भाषा और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसे एक अलग राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। उनका यह सपना उनके जीवनकाल में तो पूरा नहीं हो सका, लेकिन 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ, जो उनकी दूरदृष्टि का साक्षात प्रमाण है।
सामाजिक सुधार में योगदान
डॉ. खूबचंद बघेल केवल एक राजनीतिक नेता नहीं थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में जाकर छुआछूत, जातिवाद, अंधविश्वास और शोषण के खिलाफ अभियान चलाया। वे किसानों, मजदूरों और आदिवासियों के हक के लिए संघर्ष करते रहे। उनका मानना था कि जब तक समाज में समानता नहीं आएगी, तब तक वास्तविक आज़ादी अधूरी रहेगी।
राजनीतिक जीवन
डॉ. बघेल राजनीति को समाज सेवा का माध्यम मानते थे। उन्होंने 1952 और 1957 में विधानसभा चुनाव जीते और बाद में लोकसभा सांसद बने। वे हमेशा गांधीवादी विचारधारा के समर्थक रहे और स्वच्छ राजनीति को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत रहे। उन्होंने अपनी सादगी और ईमानदारी से जनमानस में एक अलग पहचान बनाई।
पुण्यतिथि पर विशेष आयोजन
डॉ. खूबचंद बघेल की पुण्यतिथि पर छत्तीसगढ़ में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएं, विचार गोष्ठियां और सामाजिक जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं। राज्य सरकार और सामाजिक संगठन उनके योगदान को याद करते हुए कई योजनाओं और कार्यक्रमों को उनके नाम से जोड़ते हैं।
निष्कर्ष
डॉ. खूबचंद बघेल केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ की आत्मा को समझा और इसके उज्ज्वल भविष्य की नींव रखी। आज जब छत्तीसगढ़ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, तो हमें उनके सिद्धांतों और आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी पुण्यतिथि पर हम सभी को उनके विचारों को आत्मसात कर, छत्तीसगढ़ और भारत के विकास में योगदान देना चाहिए।
“डॉ. खूबचंद बघेल अमर रहें!” 🙏