बचपन की मस्ती एक ऐसी भावना है जिसे याद कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। ये वो समय था जब जिंदगी की चिंताओं से दूर, मासूमियत और खुशियों का राज था। आइए, इसे गहराई से समझते हैं:
दोस्तों के साथ बेफिक्र खेलना
गली-मोहल्ले के खेल:गिल्ली-डंडा, कबड्डी, छुपन-छुपाई (छिपाछिपी), या क्रिकेट – ये खेल न केवल मनोरंजन का जरिया थे बल्कि दोस्तों के साथ गहरा जुड़ाव भी बनाते थे
झगड़े और सुलह
छोटी-छोटी बातों पर झगड़ना, फिर अगले ही पल वापस से एकजुट हो जाना। उस समय का हर झगड़ा चंद मिनटों में भुला दिया जाता था।
खेलने का समय
स्कूल के बाद, गर्मियों की छुट्टियों में या बारिश में भीगते हुए खेलना। इन पलों में हर चीज़ आनंद से भरी होती थी।
गांव या रिश्तेदारों के घर जाना:
गर्मी की छुट्टियों में अक्सर बच्चों का गांव जाना होता था। खेतों में दौड़ना, पेड़ों पर चढ़ना, और गांव की सादगी भरी जिंदगी का आनंद लेना।
पारिवारिक यात्रा:
कभी-कभी परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थल या पर्यटन स्थल की यात्रा। ट्रेन का सफर, खाने के डिब्बे, और नए-नए स्थान देखने का उत्साह।
मिठाई और नई चीज़ें
छुट्टियों में मिलने वाले खास पकवान जैसे आम के अचार, गुड़ की मिठाई, या रिश्तेदारों से मिलने वाले छोटे-छोटे उपहार।
चोरी-छुपके मस्ती करना
जैसे फलों के पेड़ से आम या जामुन तोड़ना, चुपके से किचन से मिठाई उठाना।
मिट्टी के खिलौने और गढ़ाई
मिट्टी से घर बनाना, तालाबों में नाव चलाना। ये शौक बड़े साधारण थे, लेकिन उनकी खुशी अनमोल थी।
चिंता-मुक्त समय
न स्कूल के होमवर्क की फिक्र, न भविष्य की चिंता। हर दिन एक नए रोमांच की तरह लगता था।
दिल की सच्चाई
किसी से कोई छल-कपट नहीं। दोस्ती, खेल, और खुशी सब दिल से जुड़ी होती थी।
बचपन की ये मस्ती भले ही समय के साथ बीत जाती है, लेकिन यादों में हमेशा ताज़ा रहती है। क्या आपके पास भी ऐसी कोई खास याद है, जो आप साझा करना चाहेंगे?