कहानी: “धैर्य का फल”
गाँव में अर्जुन नाम का एक युवक रहता था। पढ़ा-लिखा, मेहनती और ईमानदार। उसने एक छोटी सी दुकान खोली थी और दिन-रात लगन से काम करता था। लेकिन कई महीनों तक व्यापार नहीं चला। गाँव के लोग कहते, “इसका वक्त खराब चल रहा है, ये कुछ नहीं कर पाएगा।” अर्जुन चुपचाप सुनता, मुस्कराता और हर सुबह फिर से अपने काम में जुट जाता।
उसका मित्र रमेश एक दिन बोला, “अर्जुन, तू इतनी मेहनत करता है, फिर भी तेरा काम क्यों नहीं चलता?”
अर्जुन ने मुस्कराकर कहा, “वक़्त सदा एक जैसा नहीं रहता, रमेश। लेकिन मैं जानता हूँ कि धैर्य रखूंगा, तो मेरा समय भी बदलेगा।”
समय बीता। कुछ महीनों बाद गाँव में एक बड़ा प्रोजेक्ट आया और मजदूरों को रोजमर्रा की ज़रूरतों के लिए पास की दुकान की ज़रूरत हुई। अर्जुन की वही दुकान अब सबसे नजदीक थी। अचानक उसकी बिक्री बढ़ गई। कुछ ही समय में वह गाँव का सबसे सफल दुकानदार बन गया।
लोग हैरान थे। कल जिसे नाकाम कहते थे, आज उसे सफल कहते हैं।
रमेश ने अर्जुन से कहा, “तू सही था। तूने हार नहीं मानी, और वक़्त ने भी तुझे जीत दे दी।”
अर्जुन ने मुस्कराकर कहा:
“वक़्त सदा एक जैसा नहीं रहता, पर जो धैर्य से हर परिस्थिति का सामना करता है, वही आने वाले हर बदलाव का स्वामी बनता है।”
सीख:
धैर्य और निरंतर प्रयास, सबसे कठिन समय को भी बदल सकते हैं। बस खुद पर विश्वास और समय के बदलने की प्रतीक्षा करनी होती है।