लखनऊ/वाराणसी : योग साधना को जीवन का मार्ग बनाने वाले, संयम और सेवा के प्रतीक पद्मश्री स्वामी शिवानंद का शनिवार रात्रि निधन हो गया। 128 वर्ष की आयु में उन्होंने वाराणसी के बीएचयू के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में अंतिम सांस ली। चार दिन पूर्व सांस लेने में तकलीफ होने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रात 8:50 बजे उन्होंने इस नश्वर संसार को अलविदा कह दिया। स्वामी शिवानंद का निधन न केवल योग जगत, बल्कि समूचे भारतीय समाज के लिए एक अपूर्व क्षति है।
योग के माध्यम से सेवा का जीवन
स्वामी शिवानंद का जन्म तत्कालीन पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के श्रीहटा महकमा, हरीगंज स्थित एक प्रतिष्ठित ठाकुरवादी गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित श्रीनाथ गोस्वामी और माता का नाम भगवती देवी था। बचपन से ही आध्यात्मिकता की ओर प्रवृत्त रहे शिवानंद जी ने अपना पूरा जीवन योग, तप, संयम, ब्रह्मचर्य और जनसेवा को समर्पित कर दिया।

वे पिछले कई वर्षों से काशी के दुर्गाकुंड स्थित कबीरनगर आश्रम में निवास कर रहे थे। उनकी दिनचर्या, ऊर्जा और जीवनशैली से लोग प्रेरित होते थे 128 वर्ष की अवस्था में भी वे पूर्णतः सक्रिय, स्वास्थ्यप्रद और आत्मनिर्भर थे।
देशभर में शोक की लहर, पीएम मोदी और सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि
स्वामी जी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा दुख व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा:
“योग क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले पद्मश्री स्वामी शिवानंद जी का निधन अपूरणीय क्षति है। उन्होंने योग को जन-जन तक पहुंचाकर समाज को आत्मविकास और स्वास्थ्य का मार्ग दिखाया। बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना है कि उन्हें सद्गति प्राप्त हो।”
पद्मश्री से सम्मानित, समाज को दिशा देने वाला जीवन
वर्ष 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वामी शिवानंद को भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया। उन्हें यह सम्मान योग और समाजसेवा में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया गया था।

उनकी सादगी, संयम और अनुशासन का उदाहरण उस समय भी देखा गया जब वे राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार ग्रहण करने नंगे पांव और सादा सफेद वस्त्र में पहुंचे थे।
आखिरी दिन तक सेवा और साधना
चार दिन पूर्व तक स्वामी जी का स्वास्थ्य सामान्य था। लेकिन जब उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई, तो 30 अप्रैल को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके शिष्य देश-विदेश में फैले हुए हैं और उन्हें एक जीवित योग परंपरा के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया जाता रहा है।
उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए आश्रम लाया गया है, जहां हजारों श्रद्धालु अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। अंतिम संस्कार की तैयारियाँ उनके शिष्यों द्वारा की जा रही हैं।
एक युग समाप्त हुआ, लेकिन विचार अमर रहेंगे
स्वामी शिवानंद का निधन भारत की आध्यात्मिक विरासत में एक गहरी रिक्तता छोड़ गया है। लेकिन उनका जीवन, उनकी शिक्षा और उनकी योग परंपरा आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन देती रहेगी।
