नई दिल्ली। भारत के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा है कि वे खुद को हमेशा “अडिग राष्ट्रवादी” मानते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराकर बड़ी जीत दर्ज की। संभावना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें शुक्रवार को शपथ दिलाएंगी।
महाराष्ट्र कार्यकाल को बताया “सबसे सुखद अनुभव”
राधाकृष्णन ने अपने अब तक के सार्वजनिक जीवन में महाराष्ट्र राज्यपाल के रूप में बिताए 13 महीनों को सबसे सुखद बताया। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें दो मुख्यमंत्रियों—एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस—के साथ काम करने का अवसर मिला, जो उनके लिए एक अनूठा अनुभव रहा। उन्होंने दोनों नेताओं के बीच आपसी सहयोग और टीम भावना की सराहना की।
मां की कहानियों और महापुरुषों से मिली प्रेरणा
अपने अभिनंदन समारोह में राधाकृष्णन ने कहा कि बचपन में उनकी मां उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरक कहानियां सुनाती थीं। साथ ही उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर को भी याद किया, जिन्होंने भारत को संविधान दिया और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष किया। राधाकृष्णन ने कहा, “छत्रपति शिवाजी ने विदेशी आक्रमणकारियों से लड़ाई लड़ी, जबकि आंबेडकर ने उत्पीड़न का मुकाबला किया। इन्हीं महान विभूतियों के कारण भारत आज लोकतंत्र है, जबकि हमारे पड़ोसी पाकिस्तान को इसे बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ा।”
समावेशी विकास पर दिया जोर
राधाकृष्णन ने कहा कि सच्चा विकास वही है, जिसमें समाज के हर वर्ग का उत्थान शामिल हो। उन्होंने विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और वंचित वर्गों के उत्थान को विकास की प्राथमिकता बताया।
राज्यपाल से उपराष्ट्रपति तक की यात्रा
सी.पी. राधाकृष्णन महाराष्ट्र से पहले झारखंड के राज्यपाल रह चुके हैं और तेलंगाना व पुडुचेरी का भी अतिरिक्त प्रभार संभाल चुके हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र हमेशा उनके लिए खास रहेगा और यहां की जनता की गर्मजोशी व सहयोग उनकी यादों में बसे रहेंगे।
