जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। भारत ने जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। जहां वैश्विक समुदाय ने भारत की कार्रवाई का समर्थन किया, वहीं तुर्की ने पाकिस्तान का पक्ष लेकर भारतीय जनभावनाओं को आहत कर दिया। इसका सीधा असर अब भारत में तुर्की के खिलाफ तेज़ हो रहे बहिष्कार अभियान में दिख रहा है।
ऑनलाइन बुकिंग साइट्स ने तुर्की पर लगाई रोक
Ixigo और EaseMyTrip जैसी प्रमुख ट्रैवल कंपनियों ने तुर्की के लिए फ्लाइट और होटल बुकिंग बंद कर दी है। ये कदम जनता की भावना और सोशल मीडिया पर तेज़ होते विरोध को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
सेब से लेकर फैशन तक – तुर्की के उत्पादों पर असर
भारत में तुर्की से आयात होने वाले सेब, चेरी, हेज़लनट्स, जैतून का तेल और फैशन ब्रांड्स जैसे Koton व LC Waikiki अब भारतीय दुकानों से गायब होते दिख रहे हैं। थोक बाज़ार में तुर्की के सेब की जगह अब ईरान, न्यूज़ीलैंड और वॉशिंगटन के सेब ले रहे हैं। हालांकि इन विकल्पों के कारण कीमतें बढ़ गई हैं – थोक में 10 किलो सेब 200-300 रुपये तक महंगे हुए हैं और रिटेल में प्रति किलो 20-30 रुपये तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सोशल मीडिया पर विरोध तेज़
X पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है। कई यूज़र्स ने खुलकर तुर्की के खिलाफ बयान दिए हैं। एक यूज़र ने लिखा – “जब तुर्की को मदद की ज़रूरत थी, भारत साथ खड़ा था। अब जब हमें समर्थन चाहिए, वो पाक के साथ खड़ा है।” एक अन्य पोस्ट में कहा गया – “न तुर्की के सेब खाएंगे, न वहां घूमने जाएंगे।”
कश्मीरी सेबों की मांग फिर से बढ़ी, पर सप्लाई में दिक्कत
कश्मीर के सेबों की ओर व्यापारियों का रुझान फिर से बढ़ा है, लेकिन घाटी में मौसम और सुरक्षा कारणों से सड़क मार्ग बाधित है, जिससे ताज़ा स्टॉक की सप्लाई प्रभावित हो रही है। हालांकि, कोल्ड स्टोरेज में रखे सेब कुछ हद तक बाज़ार की मांग पूरी कर रहे हैं।
क्या-क्या आता है तुर्की से?
भारत तुर्की से सेब, चेरी, ड्राय फ्रूट्स, जैतून का तेल, बकलावा, मार्बल, मशीनें और रेडीमेड कपड़े आयात करता रहा है। वर्ष 2024 में भारत ने तुर्की से सेब की खरीद में 50 प्रतिशत तक वृद्धि की थी। अब इन आयातों में अचानक गिरावट आई है।
निष्कर्ष
तुर्की की कूटनीतिक चूक ने उसे भारतीय बाज़ार में बड़ा झटका दिया है। यह सिर्फ एक राजनयिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि जनता की चेतावनी है कि जब बात देश की गरिमा की हो, तो व्यापार, स्वाद और पर्यटन सब कुछ पीछे छूट सकता है।