अयोध्या : भगवान श्रीराम की पावन धरती, जल्द ही एक और ऐतिहासिक अध्याय में शामिल होने जा रही है। यहां 100 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय श्रीराम संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा, जो 15 बीघा भूमि पर स्थापित होगा। इस संग्रहालय में भगवान राम के जीवन, आदर्शों, सांस्कृतिक विरासत और उनकी शिक्षाओं को प्रदर्शित किया जाएगा।
संग्रहालय का उद्देश्य न केवल भगवान राम से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों को संरक्षित करना है, बल्कि राम के जीवन के मूल्यों, उनके संस्कारों और सनातन संस्कृति को विश्व स्तर पर प्रचारित करना भी है। इस संग्रहालय में भगवान राम के हथियारों, शास्त्रों, वास्तु और आयुर्वेद के ज्ञान को आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।

संग्रहालय में एक विशेष रामायण गैलरी भी बनाई जाएगी, जिसमें भगवान राम के जीवन के प्रमुख प्रसंगों को दृश्य और श्रव्य माध्यमों से दिखाया जाएगा। इसके अलावा, संग्रहालय में 16 जीवन संस्कारों में से सभी संस्कारों को दर्शाया जाएगा, ताकि लोग अपनी सनातन परंपराओं से जुड़ सकें और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ सकें।

डॉ. राम अवतार का नेतृत्व:
इस ऐतिहासिक परियोजना का नेतृत्व डॉ. राम अवतार कर रहे हैं, जिन्होंने भगवान राम के जीवन और आदर्शों पर गहरा शोध किया है। डॉ. रामावतार के निर्देशन में श्रीराम संस्कृत संस्थान इस संग्रहालय का निर्माण करेगा। डॉ. राम अवतार का मानना है कि यह संग्रहालय भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बनेगा।
डिजिटल पुस्तकालय और वर्चुअल रियलिटी:
संग्रहालय में एक डिजिटल पुस्तकालय भी बनाया जाएगा, जिसमें रामायण से जुड़े दुर्लभ ग्रंथ, पांडुलिपियां और शोध पत्र संग्रहित किए जाएंगे। इसके अलावा, एक आर्ट गैलरी भी स्थापित की जाएगी, जहां रामकथा पर आधारित चित्रकला, मूर्तिकला और हस्तकला के अद्भुत नमूने प्रदर्शित होंगे।

संग्रहालय में वर्चुअल रियलिटी और 3D एनीमेशन के माध्यम से दर्शकों को श्रीराम के युग में प्रवेश करने का अनुभव मिलेगा। इससे युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी। यह संग्रहालय न केवल अतीत की स्मृति को संजोएगा, बल्कि आने वाले समय में सनातन संस्कृति के वैश्विक प्रसार का सशक्त माध्यम बनेगा।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बनेगा संग्रहालय:
डॉ. राम अवतार ने इस परियोजना को एक महान उद्देश्य से जोड़ा है, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक तीर्थ स्थल होगा, बल्कि शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और पर्यटकों के लिए भी ज्ञान का अनमोल स्रोत बनेगा। जब यह संग्रहालय बनकर तैयार होगा, तो अयोध्या न केवल राम मंदिर के लिए प्रसिद्ध होगी, बल्कि यह रामराज्य के आदर्शों, नीति और संस्कृति को समझने का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनकर उभरेगी।
