नई दिल्ली, 27 मई 2025 – हर साल मानसून के आते ही भारत के बड़े शहर जैसे दिल्ली, मुंबई और चेन्नई पानी में डूब जाते हैं। सड़कें तालाब बन जाती हैं, वाहन फंस जाते हैं और आम जनजीवन ठप हो जाता है। सवाल उठता है – आखिर कब तक चलेगा ये सिलसिला?
आबादी का बोझ और कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर
भारत के इन महानगरों पर बेतहाशा बढ़ती आबादी का दबाव साफ दिखता है। सड़कों, नालों और ड्रेनेज सिस्टम की क्षमता जवाब दे चुकी है। हर साल करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन विकास की रफ्तार आबादी के बोझ के सामने कमजोर पड़ जाती है।
दिल्ली का मिंटो ब्रिज हो या मुंबई की अंधेरी अंडरपास, बारिश में जलभराव की तस्वीरें अब आम हो गई हैं।
नालों की सफाई पर नहीं ध्यान
शहरों के नाले या तो जाम हैं या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त। नियमित सफाई नहीं होने के कारण बरसात का पानी सड़कों पर भर जाता है। नतीजा – ट्रैफिक जाम, बीमारियां और जन-धन की हानि।
प्रकृति या हमारी लापरवाही?
पेड़ कटने, हरियाली खत्म होने और शहरीकरण की होड़ ने ज़मीन की पानी सोखने की क्षमता खत्म कर दी है। वहीं जलवायु परिवर्तन के चलते बारिश का पैटर्न भी असामान्य हो गया है। कहीं बेमौसम बारिश तो कहीं अत्यधिक वर्षा – हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
समाधान: अब चाहिए ‘स्पंज सिटी’
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब भारत को ‘स्पंज सिटी’ मॉडल अपनाना होगा। इसका मतलब – ऐसा इन्फ्रास्ट्रक्चर जो बारिश के पानी को सोखने में सक्षम हो।
- कंक्रीट की बजाय परमेबल सड़कों का निर्माण
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग को मजबूती
- अधिक हरियाली और खुले स्थान
- छतों और ग्राउंड लेवल पर वाटर स्टोरेज सिस्टम
चीन और जर्मनी जैसे देश इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। भारत को भी इससे सीख लेनी होगी।
कब होगा बदलाव?
जब तक नालों की सफाई नहीं होगी, जब तक प्लास्टिक कचरा खुले में बहता रहेगा और जब तक हम हर साल की बर्बादी को ‘नॉर्मल’ मानते रहेंगे – तब तक शहर हर बारिश में डूबते रहेंगे।
क्या करना होगा?
- सरकार: आबादी के अनुसार इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करे
- नगर निकाय: नालों की समय पर सफाई करें
- जनता: प्लास्टिक और कूड़ा नालों में न फेंकें
- शहरी योजना: हरियाली और जल-संवेदनशील डिजाइन को बढ़ावा दे
निष्कर्ष:
बारिश एक प्राकृतिक वरदान है, लेकिन शहरी लापरवाही और खराब प्लानिंग इसे आफत बना देती है। अब वक्त है कि हम सिर्फ बातें नहीं, जमीनी बदलाव करें। वरना हर साल यही सवाल उठेगा – शहर फिर डूबे… अब क्या करें?