नई दिल्ली। स्वच्छता में देश का सिरमौर बन चुका इंदौर एक बार फिर इतिहास रच गया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के परिणामों में इंदौर ने लगातार आठवीं बार देशभर में नंबर-1 स्थान हासिल किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को आयोजित समारोह में इंदौर को यह सम्मान सौंपा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त शिवम वर्मा मौजूद रहे।
इस बार इंदौर को देश के उन 23 श्रेष्ठ शहरों की “सुपर लीग” में भी शामिल किया गया है, जिन्होंने अब तक के सर्वेक्षणों में पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया है।

2016 से बदली तस्वीर, अब ‘स्वच्छता की राजधानी’ बना इंदौर
वो दौर याद कीजिए जब इंदौर गंदगी और अव्यवस्था से जूझ रहा था। साल 2016 से पहले नालियों में अटकती गंदगी, खुले में कचरे के ढेर और सड़कों पर घूमते आवारा पशु इंदौर की पहचान बन चुके थे। नगर निगम के नियमों का कोई पालन नहीं होता था और सफाई सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गई थी।
लेकिन IAS मनीष सिंह के नगर निगम आयुक्त बनने के साथ ही बदलाव की नींव पड़ी। उन्होंने डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, कर्मचारियों का ड्रेस कोड, कचरा पृथक्करण और जागरूकता अभियान जैसे कदम उठाए। पूर्व महापौर मालिनी गौड़ के कार्यकाल में शुरू हुआ यह अभियान जल्द ही आंदोलन में बदल गया।
‘स्वच्छता’ बना आंदोलन, 2017 से लगातार नंबर वन
- 2017 में पहली जीत: इंदौर ने स्वच्छता सर्वेक्षण में पहली बार देशभर में पहला स्थान पाया।
- 2018 से 2024 तक सफलता की पुनरावृत्ति: हर साल अपने रिकॉर्ड को दोहराते हुए इंदौर ने खुद को स्वच्छता का पर्याय बना दिया।
- इंदौर मॉडल की खासियत:
- गीले और सूखे कचरे का अलग संग्रह
- 3R (Reduce, Reuse, Recycle) नीति
- जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम
- वेस्ट टू एनर्जी और बायो-मीथेन प्लांट
- शून्य अपशिष्ट क्षेत्र (Zero Waste Zone)
- नागरिकों की सक्रिय भागीदारी
तकनीक, प्रशासन और जनता – तीनों की साझी सफलता
इंदौर की सफलता किसी एक संस्था या व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक पूरे शहर की सोच और संस्कृति की जीत है। यहां कचरे से बिजली, गैस और खाद बन रही है। हर नागरिक अपने घर से ही स्वच्छता के अभियान में भागीदार है। स्कूलों, बाजारों, कार्यालयों और गलियों तक साफ-सफाई अब दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी है।

अब पूरा देश अपनाने लगा ‘इंदौर मॉडल’
इंदौर की सफलता ने देश के अन्य शहरों को भी प्रेरित किया है। भोपाल, सूरत, नागपुर, विशाखापत्तनम जैसे शहरों ने भी ‘इंदौर मॉडल’ को अपनाना शुरू किया है। नीति आयोग, नगरीय विकास मंत्रालय और विभिन्न राज्य सरकारें इस मॉडल को केस स्टडी के रूप में देख रही हैं।
इंदौर की कहानी हर शहर के लिए सबक
इंदौर का यह सफर बताता है कि अगर इच्छाशक्ति हो, प्रशासनिक प्रतिबद्धता हो और जनता साथ दे, तो कोई भी शहर मिसाल बन सकता है। इंदौर अब सिर्फ सबसे स्वच्छ शहर नहीं, बल्कि देश की स्वच्छता राजधानी बन चुका है।
निष्कर्ष:
इंदौर का सफाई में शीर्ष पर बने रहना महज आंकड़ा नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि सतत प्रयास, नवाचार और जनभागीदारी मिलकर कैसे शहरों को बदल सकते हैं। अब इंदौर सिर्फ शहर नहीं, देशभर के लिए एक प्रेरणा है।