हाई कोर्ट ने कहा – यह कदम सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने की दिशा में शानदार प्रयास
लखनऊ, 27 मई 2025 – उत्तर प्रदेश सरकार अब प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में रामायण और वेदों की शिक्षा देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुरू की गई इस सांस्कृतिक पहल को इलाहाबाद हाई कोर्ट की मंजूरी भी मिल गई है। कोर्ट ने इस योजना को भारत की सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का एक सराहनीय प्रयास करार दिया है।
कोर्ट ने खारिज की आपत्ति याचिका
देवरिया निवासी डॉ. चतुरानन ओझा द्वारा इस पहल के खिलाफ दायर याचिका को जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस शैलेंद्र क्षितिज की खंडपीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि –
“यह याचिका दुर्भावनापूर्ण है और सरकार के रचनात्मक कार्यों में बाधा डालने की कोशिश है।”
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह पहल कोई धार्मिक प्रचार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों और नैतिक शिक्षा से बच्चों को जोड़ने का प्रयास है।
क्या है योगी सरकार की योजना?
रामायण और वैदिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, अयोध्या की अनुशंसा पर यूपी के सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को 5 से 10 दिन की वर्कशॉप आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इन वर्कशॉप में बच्चों को रामलीला, वेदगान, क्ले मॉडलिंग, मुख सज्जा, जैसे गतिविधियों से जोड़ा जाएगा।
नैतिकता और कला से होगा बालविकास
सरकार का मानना है कि यह वर्कशॉप बच्चों में नैतिक मूल्यों, कलात्मक सोच, और सांस्कृतिक चेतना को विकसित करेगी। साथ ही भगवान राम के आदर्शों से प्रेरणा लेकर वे अपने व्यक्तित्व का सकारात्मक निर्माण करेंगे।
यूपी के स्कूल बनेंगे सांस्कृतिक नवचेतना के केंद्र
अब यूपी के स्कूल केवल किताबी ज्ञान का माध्यम नहीं रहेंगे, बल्कि वे एक नव सांस्कृतिक आंदोलन का केंद्र बनेंगे। यह पहल बच्चों को न केवल भारत की महान परंपरा से जोड़ेगी, बल्कि उन्हें संस्कार, ज्ञान और सृजनात्मकता की दिशा में प्रेरित भी करेगी।
निष्कर्ष:
यह पहल भारतीय संस्कृति, नैतिकता और रचनात्मकता को स्कूल शिक्षा का हिस्सा बनाकर बच्चों के संपूर्ण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। हाई कोर्ट की मंजूरी के बाद अब यह सांस्कृतिक यात्रा औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है।