नई दिल्ली। केंद्र सरकार 2027 में देश की जनसंख्या जनगणना कराने जा रही है। इसके लिए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) ने गृह मंत्रालय के पास 14,618.95 करोड़ रुपये के बजट की मांग की है। यह 10 साल पर होने वाली जनगणना में पहली बार छह साल की देरी के बाद की जा रही है। 2021 में कोरोना महामारी के कारण जनगणना स्थगित हो गई थी।
दो चरणों में होगी जनगणना
जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी
- मकान सूचीकरण – अप्रैल से सितंबर 2026 तक, जिसमें आवास की स्थिति, घरेलू सुविधाएं और संपत्तियों का विवरण एकत्र किया जाएगा।
- जनसंख्या गणना – फरवरी 2027 में देश के अधिकांश हिस्सों में शुरू होगी। लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह सितंबर 2026 में पूरी होगी।
पहली बार डिजिटल जनगणना
सूत्रों के अनुसार, 2027 की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। इसके लिए एक विशेष मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है। जनता को स्व-गणना (self-enumeration) का विकल्प भी दिया जाएगा। साथ ही जाति संबंधी आंकड़े इलेक्ट्रॉनिक रूप से एकत्र किए जाएंगे। जनगणना की वास्तविक समय निगरानी और प्रबंधन के लिए RGI ने CMMS (Census Monitoring & Management System) नामक वेबसाइट भी तैयार की है।

कर्मियों की तैनाती
इस प्रक्रिया के लिए 35 लाख से अधिक गणनाकार और पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे, जो 2011 में 27 लाख तैनात कर्मियों की संख्या से लगभग 30% अधिक है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- जनगणना में आवास, सुविधाएं, संपत्ति, धर्म, अनुसूचित जाति और जनजाति, भाषा, साक्षरता, शिक्षा, आर्थिक गतिविधि, प्रवास और प्रजनन क्षमता से संबंधित आंकड़े शामिल होंगे।
- यह 16वीं दशकीय जनगणना और आजादी के बाद आठवीं जनगणना होगी।
- 2011 की जनगणना के अनुसार देश की जनसंख्या 1.21 अरब थी, जबकि 2025 में इसे लगभग 1.41 अरब अनुमानित किया गया है।
प्रक्रिया की मंजूरी
इस महीने की शुरुआत में RGI ने व्यय वित्त समिति (EFC) से बजट की मंजूरी के लिए नोट जारी किया। EFC की स्वीकृति के बाद गृह मंत्रालय इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रस्तुत करेगा।

नई दिशा
2027 की जनगणना भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें डेटा संग्रहण और निगरानी तकनीकी रूप से और अधिक आधुनिक और पारदर्शी होगी। इस कदम से न केवल जनसांख्यिकी के डेटा में सटीकता आएगी, बल्कि नीति निर्माण और योजनाओं के क्रियान्वयन में भी सुधार होगा।