भाखड़ा नांगल डैम भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण बांधों में से एक है। यह सतलुज नदी पर बना हुआ है और इसे भारत के स्वतंत्रता के बाद की पहली बड़ी बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं में गिना जाता है।
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भाखड़ा नांगल डैम का इतिहास
- निर्माण की शुरुआत:
- इसका निर्माण 1948 में शुरू हुआ और 1963 में पूरा हुआ।
- इस परियोजना को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “भारत का नया तीर्थ” कहा था।
- स्थान:
- यह हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है।
तकनीकी जानकारी
- ऊंचाई:
- इसकी ऊंचाई 226 मीटर (741 फीट) है, जो इसे एशिया के सबसे ऊंचे गुरुत्वीय बांधों में से एक बनाती है।
- लंबाई:
- बांध की लंबाई लगभग 518 मीटर है।
- जलाशय (गोबिंद सागर):
- इस बांध द्वारा बनाए गए जलाशय को गोबिंद सागर झील कहा जाता है।
- यह झील लगभग 168.35 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है और इसमें 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रहित हो सकता है।
प्रमुख उद्देश्य
- सिंचाई:
- भाखड़ा नांगल परियोजना पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के लाखों हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है।
- बिजली उत्पादन:
- बांध की जलविद्युत परियोजना से लगभग 1325 मेगावाट बिजली उत्पन्न होती है, जो कई राज्यों को ऊर्जा प्रदान करती है।
- बाढ़ नियंत्रण:
- यह बांध सतलुज नदी में आने वाली बाढ़ को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
पर्यटन स्थल के रूप में
- गोबिंद सागर झील:
- झील में बोटिंग, मछली पकड़ना और अन्य जल क्रीड़ा गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
- भाखड़ा नांगल डैम का दर्शन:
- पर्यटकों को सुरक्षा कारणों से बांध के कुछ हिस्सों को देखने की अनुमति दी जाती है।
- आसपास के आकर्षण:
- नंगल टाउनशिप और गोबिंद सागर के आसपास के क्षेत्र पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
भाखड़ा नांगल डैम का महत्व
- यह बांध भारत के हरित क्रांति का मुख्य आधार रहा है।
- यह न केवल कृषि को प्रोत्साहन देता है बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों को भी ऊर्जा प्रदान करता है।
नोट: इस बांध को बनाए रखने के लिए लगातार मॉनिटरिंग और रखरखाव किया जाता है, जिससे इसकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।