जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में मुस्लिम छात्रों के प्रवेश को लेकर छिड़ा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के बीच मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि “अगर विरोधी पक्ष सच में गैर-हिंदू छात्रों को बाहर रखना चाहता है, तो सरकार इस कॉलेज को ‘अल्पसंख्यक संस्थान’ घोषित कर दे।”
सीएम के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने चेतावनी भी दी कि यदि शिक्षा को इस तरह धर्म के चश्मे से देखा गया, तो कश्मीरी छात्र “बांग्लादेश या तुर्की” जैसे देशों में पढ़ाई के लिए मजबूर हो जाएंगे।
उमर अब्दुल्ला का बयान और नई बहस
सीएम अब्दुल्ला ने कहा कि शिक्षा को धर्म आधारित राजनीति से जोड़ना बेहद खतरनाक है। हालांकि उनके बयान के इस हिस्से पर सवाल उठ रहे हैं जिसमें उन्होंने बांग्लादेश और तुर्की जैसे देशों का उदाहरण दिया—ऐसे देश जिनका भारत के साथ कई बार विवादित रुख देखने को मिला है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक जिम्मेदार पद पर बैठे नेता से उम्मीद की जाती है कि वह युवाओं को सुरक्षित, वैश्विक और भारत के हितों के अनुकूल शिक्षा विकल्प सुझाए।

क्या है विवाद की जड़?
भाजपा और संबद्ध संगठनों का तर्क है कि चूंकि वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अंतर्गत आता है, इसलिए प्रवेश प्रक्रिया में हिंदू छात्रों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
लेकिन सवाल उठता है—
- क्या अस्पताल सभी धर्मों के मरीजों का इलाज करता है?
हाँ, बिल्कुल करता है। - तो फिर प्रवेश में धर्म आधारित भेदभाव की मांग क्यों?
यही वजह है कि इस मांग को शिक्षा और संविधान की भावना के खिलाफ बताया जा रहा है।
भारत की बहुलतावादी छवि पर असर
यह विवाद ऐसे समय में उठा है जब भारत दुनिया भर में एक बहुलतावादी, उदार और समान अवसर देने वाले देश के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मेडिकल शिक्षा जैसी योग्यता-आधारित प्रक्रिया को भी सांप्रदायिक रंग दिया गया, तो इससे देश की अंतरराष्ट्रीय छवि कमजोर होगी।
अंत में…
शिक्षा का क्षेत्र हमेशा राजनीति और धर्म से ऊपर माना गया है। इस विवाद के बढ़ने से न केवल छात्रों के भविष्य पर असर पड़ सकता है, बल्कि समाज में अनावश्यक विभाजन की स्थिति भी पैदा हो सकती है।
संविधान और सामाजिक मूल्य दोनों ही स्पष्ट कहते हैं—धर्म के नाम पर भेदभाव अस्वीकार्य है। ऐसे में यह विवाद जल्द से जल्द सुलझे, यही सभी पक्षों और युवाओं के हित में है।
