महीनों की तनातनी और व्यापार युद्ध के बाद अमेरिका और चीन के रिश्तों में बड़ी नरमी देखने को मिल रही है। दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों ने लंदन के लैंकेस्टर हाउस में 20 घंटे तक चली गहन वार्ता के बाद यह घोषणा की कि व्यापार के मोर्चे पर एक नया फ्रेमवर्क तैयार कर लिया गया है। इससे टैरिफ वॉर पर विराम लगाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
लंदन में ऐतिहासिक वार्ता
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने बातचीत के बाद कहा, “हम जिनेवा सहमति को लागू करने के लिए एक रूपरेखा पर पहुंच गए हैं।” यह वही जिनेवा सहमति है, जिसमें दोनों देशों ने भारी टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित करने का समझौता किया था। बकिंघम पैलेस के पास एक ऐतिहासिक जॉर्जियाई हवेली में हुई बातचीत में लुटनिक ने भरोसा जताया कि दुर्लभ पृथ्वी जैसे अहम निर्यात पर विवाद सुलझ जाएगा।
दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर तनाव
गौरतलब है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements) का उत्पादक है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और रक्षा उद्योग के लिए बेहद जरूरी हैं। अप्रैल में चीन द्वारा इन तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ गई थी। वार्ता के दौरान अमेरिकी पक्ष ने इस मुद्दे पर भी चीन से बातचीत की।
चीन के प्रतिनिधिमंडल का रुख
चीन के मुख्य वार्ताकार ली चेंगगांग ने कहा कि दोनों पक्ष प्रस्ताव के साथ अपने-अपने नेताओं के पास लौटेंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि राष्ट्रपति स्तर पर मंजूरी के बाद इस समझौते को लागू किया जाएगा।
ट्रम्प-शी की फोन वार्ता
बता दें कि 5 जून को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से फोन पर लंबी बातचीत की थी। इसके बाद अगले दिन उन्होंने सोशल मीडिया पर घोषणा की थी कि लंदन में व्यापार वार्ता फिर से शुरू होगी।
दोनों देशों की मांगें
चीन चाहता है कि अमेरिका उसके उन्नत अर्धचालक तकनीक तक पहुंच के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को हटा दे। वहीं अमेरिका चाहता है कि चीन के बाजार उसके उत्पादों के लिए खुलें। ट्रंप ने कहा, “अगर हम चीन के लिए अपने द्वार नहीं खोलते हैं, तो संभवत: हम कुछ नहीं कर पाएंगे। हम चीन के लिए अपने द्वार खोलना चाहते हैं।”
क्या है आगे?
भले ही दोनों पक्षों के बीच अगली बैठक की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन दोनों देश बातचीत को लेकर सकारात्मक हैं। इससे वैश्विक बाजारों और निवेशकों में राहत की लहर दौड़ गई है।