अमेरिका और चीन के बीच शक्ति संतुलन की जंग अब और तेज होती दिख रही है। डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही अपनी किताब The Art of Deal से बिज़नेस और पॉलिटिक्स में डील-मेकिंग का मंत्र दिया हो, लेकिन चीन एक बार फिर दुनिया को याद दिला रहा है कि असली रणनीति का ग्रंथ The Art of War उसके पास है—वो भी 2500 साल से।
The Art of War, जिसे चीनी युद्ध दार्शनिक सून त्ज़ू ने लिखा था, युद्धशास्त्र, रणनीति और शक्ति संतुलन पर आधारित 13 अध्यायों की ऐसी रचना है जो आज भी राजनीति, सैन्य और बिज़नेस की दुनिया में उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सदियों पहले थी।
अमेरिका की बादशाहत को चीन की चुनौती
चीन की “विक्ट्री डे परेड” ने इस संदेश को और मजबूत कर दिया। इस दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने माओ सूट पहनकर साफ कहा—
“दुनिया सद्भाव से चलती है, दादागिरी से नहीं। चीन किसी से डरने वाला नहीं है।”
परेड में चीन ने अपनी सैन्य ताकत—DF-61 मिसाइल, AI वुल्फ, एक्स्ट्रा लार्ज अंडरसी ड्रोन—का प्रदर्शन किया। इस शो ऑफ पावर को अमेरिका और उसके सहयोगियों को दिया गया सीधा संदेश माना जा रहा है कि चीन अब केवल एशिया ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की शक्ति संरचना को चुनौती देने की स्थिति में है।
परेड में वैश्विक राजनीति की झलक
करीब 70 मिनट चली इस परेड में चीन ने रूस और उत्तर कोरिया को मंच पर बराबरी से खड़ा कर पश्चिमी देशों को कड़ा संकेत दिया। पुतिन और किम जोंग-उन की मौजूदगी ने साफ किया कि एशिया का एक नया गठजोड़ उभर रहा है। वहीं, यूरोप के कई नेताओं ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाई।
विशेषज्ञों की राय
अटलांटिक काउंसिल के जानकारों का कहना है कि यह आयोजन सिर्फ सैन्य ताकत का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि चीन की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय छवि को पुनर्स्थापित करने की कवायद थी।
उनके अनुसार, “शी जिनपिंग को भरोसा है कि चीन अब फिर से नेतृत्व की कुर्सी पर बैठ चुका है।”
निष्कर्ष
जहाँ ट्रंप की Art of Deal अमेरिकी नेतृत्व और व्यक्तिगत करिश्मे का प्रतीक है, वहीं चीन का Art of War हजारों साल पुरानी रणनीतिक सोच और धैर्य का दर्शन पेश करता है। आज की बदलती विश्व व्यवस्था में यह टकराव केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच भविष्य की वैश्विक राजनीति और शक्ति संतुलन की असली जंग का हिस्सा है।