वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका के कई शहरों और कस्बों में शनिवार को लाखों लोग सड़कों पर उतर आए, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ देशभर में आयोजित अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ का हिस्सा बने। CNN की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 70 लाख प्रदर्शनकारी (जून के प्रदर्शन से 20 लाख अधिक) ने 50 राज्यों में 2,600 से ज्यादा स्थानों पर भाग लिया। यह प्रदर्शन ट्रंप की कथित तानाशाही प्रवृत्तियों, कठोर आव्रजन नीतियों, ICE छापों, संघीय सैनिकों की तैनाती और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने के आरोपों के खिलाफ थे।
‘नो किंग्स’ का मतलब: ट्रंप को ‘राजा’ बनाने से रोकना
‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ ट्रंप प्रशासन की ‘तानाशाही’ को चुनौती देने का प्रतीक बन गया है। आयोजकों ने इसे लोकतंत्र की रक्षा का अभियान बताया, जहां अमेरिका में ‘राजा’ नहीं, बल्कि जनता का शासन होना चाहिए। Al Jazeera के अनुसार, यह तीसरा बड़ा प्रदर्शन था, जो सरकार के शटडाउन के बीच हुआ। न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे जून के प्रदर्शन का फॉलो-अप बताया, जहां Indivisible, 50501 और MoveOn जैसे प्रोग्रेसिव ग्रुप्स ने 2,600 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए। प्रदर्शनकारी ‘नो किंग्स, नो टायरेंट्स’ के नारे लगाते हुए अमेरिकी ध्वज लहराते दिखे, और कई जगहों पर कार्निवल जैसा माहौल रहा।
लॉस एंजेलिस में सबसे बड़ी भीड़
लॉस एंजेलिस में सबसे बड़ी भीड़ उमड़ी, जहां प्रवासी समुदायों ने अमेरिकी और मैक्सिकन झंडे लिए सड़कों पर उतरे। मेयर कैरेन बास ने CNN को बताया, “ट्रंप राजा नहीं हैं, लेकिन हम लोकतंत्र को तानाशाही की ओर नहीं जाने देंगे।” अटलांटा में सिविक सेंटर से जॉर्जिया स्टेट कैपिटल तक मार्च निकला, जबकि न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में ‘आई प्लेज अलेजिएंस टू नो किंग’ के पोस्टर दिखे। शिकागो के मेयर ब्रैंडन जॉनसन ने कहा, “हम झुकेंगे नहीं, न ही समर्पण करेंगे। हम तानाशाही को उखाड़ फेंकेंगे।” प्रदर्शन छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक फैले, जहां लोग पीले रंग के कपड़े पहनकर एकता दिखा रहे थे।

डेमोक्रेट्स का समर्थन, रिपब्लिकन्स का विरोध
डेमोक्रेटिक नेताओं ने प्रदर्शनों का खुलकर समर्थन किया। कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम ने सोशल मीडिया पर लिखा, “कैलिफोर्निया के लोग ट्रंप की तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर हैं। शांति बनाए रखें, हमारी ताकत एकता में है।” सीनेट माइनॉरिटी लीडर चक शूमर ने न्यूयॉर्क में कहा, “अमेरिका में कोई तानाशाह नहीं चलेगा। हम लोकतंत्र बचाएंगे।” बर्नी सैंडर्स ने ट्वीट किया, “लाखों अमेरिकियों ने साबित किया कि यहां राजा नहीं, जनता शासित करेगी।” वहीं, रिपब्लिकन्स ने इन्हें ‘हेट अमेरिका रैली’ करार दिया, और ट्रंप ने फॉक्स न्यूज पर कहा, “मैं राजा नहीं हूं।”
शांतिपूर्ण प्रदर्शन, कोई गिरफ्तारी नहीं
न्यूयॉर्क पुलिस ने बताया कि पांचों बोरोज में 1 लाख से ज्यादा लोग उतरे, लेकिन सब शांतिपूर्ण रहा। फॉक्स न्यूज के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप की ‘क्रूरता, भ्रष्टाचार और अराजकता’ के खिलाफ आवाज उठाई। CBS न्यूज ने यूरोप में भी एकजुटता प्रदर्शनों का जिक्र किया। आयोजकों ने कहा, “यह ट्रंप के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतंत्र बनाम तानाशाही की नई बहस का प्रतीक है।”