पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में देश पर कर्ज का पहाड़ खड़ा हो गया है। पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण 2025 के मुताबिक, मार्च 2025 तक देश का कुल सार्वजनिक ऋण 76,007 बिलियन पाकिस्तानी रुपये (करीब 23.1 ट्रिलियन भारतीय रुपये) हो गया है। यह अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है, जिसने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत को और खराब कर दिया है।
इस भारी-भरकम कर्ज में 51,518 बिलियन रुपये का घरेलू कर्ज और 24,489 बिलियन रुपये का विदेशी कर्ज शामिल है। पिछले दस सालों में यह कर्ज पांच गुना बढ़ा है, जबकि सिर्फ चार साल में यह लगभग दोगुना हो गया। 2020-21 में पाकिस्तान का कुल सार्वजनिक ऋण 39,860 बिलियन रुपये था।
पाकिस्तान के आर्थिक सर्वेक्षण में चेतावनी दी गई है कि “अत्यधिक या खराब तरीके से प्रबंधित ऋण गंभीर कमज़ोरियाँ पैदा कर सकता है, जैसे कि ब्याज का बोझ बढ़ना और अगर इसे अनदेखा किया जाए तो यह दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा को कमज़ोर कर सकता है।”
🔎 IMF और मित्र देशों के भरोसे
वित्त वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों में पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण 6.7 प्रतिशत बढ़ा। IMF की विस्तारित निधि सुविधा के तहत पाकिस्तान को 1.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद भी मिली है। मगर इसके बावजूद पाकिस्तान की वित्तीय हालत में सुधार नहीं हो सका।
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय संगठनों और ‘मित्र देशों’ से कर्ज मांगने के लिए बदनाम रहा है। खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में कहा था, “आज जब हम किसी मित्र देश के पास जाते हैं या फोन करते हैं तो उन्हें लगता है कि हम उनसे पैसे मांगने आए हैं।”
🌍 गरीबी का आलम
विश्व बैंक के मुताबिक, पाकिस्तान की करीब 45 प्रतिशत आबादी गरीबी में जी रही है जबकि 16.5 प्रतिशत लोग अत्यधिक गरीबी का सामना कर रहे हैं। इसके उलट भारत ने रिकॉर्ड संख्या में लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है।
📝 निष्कर्ष
शहबाज शरीफ सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ गई है। अगर यही हाल रहा तो पाकिस्तान को और भी गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।