दमिश्क/तेहरान : पश्चिम एशिया में कूटनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। सीरिया के नेता शरा (Sharaa) द्वारा अमेरिका और इजराइल के साथ रिश्ते सुधारने की हालिया कोशिशों ने ईरान को नाराज कर दिया है। शरा की नई नीति को सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय संतुलन के खिलाफ बताया जा रहा है। इससे ईरान और सीरिया के बीच वर्षों पुरानी साझेदारी में दरार आ गई है।
ट्रंप टॉवर प्रस्ताव और गुप्त वार्ता से बढ़ा तनाव
सूत्रों के अनुसार, शरा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्यक्तिगत संपर्क साधा है और यहां तक कि दमिश्क में ‘ट्रंप टॉवर’ बनाए जाने का प्रस्ताव भी रखा है। इस पहल को अमेरिका के लिए आर्थिक और रणनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
वहीं, यूएई के जरिए इजराइल से गुप्त वार्ताएं भी शुरू कर दी गई हैं, जो ईरान के लिए असहनीय साबित हो रही हैं। ईरान मानता है कि इस्राइल से ऐसे संबंध सीरिया की संप्रभुता और ईरान की रणनीतिक सुरक्षा पर हमला है।
ईरान की नाराजगी और शरा की बदली हुई प्राथमिकताएं
शरा की यह नीति सीरिया की चरमराती अर्थव्यवस्था को संबल देने की रणनीति मानी जा रही है। अमेरिकी प्रतिबंधों और वित्तीय संकट से जूझते सीरिया को राहत के लिए अब अमेरिका और पश्चिमी देशों का रुख करना मजबूरी बनती जा रही है। लेकिन यह नई कूटनीति, तेहरान के लिए सीधी चुनौती बन गई है।
ईरान, जो अब तक बशर अल-असद शासन का प्रमुख समर्थक रहा है, खुद को अब विश्वासघात का शिकार महसूस कर रहा है। ईरानी विश्लेषकों के अनुसार, शरा की ये हरकतें उन्हें तुर्की और पश्चिमी देशों के पाले में धकेल रही हैं।
‘दोस्ती का हाथ’ और आतंकी अतीत
शरा का अतीत भी इस पूरे मामले को और जटिल बना रहा है। कभी अल-कायदा से जुड़े रहे शरा को अमेरिका ने आतंकी करार दिया था। अब उन्हीं पश्चिमी ताकतों से दोस्ती की पहल ने न केवल उनकी आंतरिक साख को कमजोर किया है, बल्कि ईरान और हिजबुल्लाह जैसे पुराने सहयोगियों का भरोसा भी डगमगाया है।
अमेरिका की शर्तें और अनिश्चित भविष्य
अमेरिका ने अब तक शरा को किसी तरह की ठोस राहत नहीं दी है, बल्कि उनसे आतंकवाद और रासायनिक हथियारों पर सख्त कदम उठाने की मांग की है। ऐसे में यह देखना बाकी है कि शरा की यह जोखिम भरी रणनीति सीरिया को वैश्विक मुख्यधारा में लाने में सफल होती है या फिर देश को और गहरे संकट में डाल देती है।