नई दिल्ली/लंदन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय ब्रिटेन दौरे के अंतिम दिन लंदन स्थित प्रसिद्ध Chequers Estate में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मुलाकात की। इस ऐतिहासिक बैठक में दोनों देशों के बीच लंबे समय से चर्चा में रही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए, जो भारतीय और ब्रिटिश व्यापार के नए युग की शुरुआत है।
यह समझौता भारतीय व्यापार के लिए अहम अवसर लेकर आया है। ब्रिटेन में भारतीय निर्यातकों के लिए बाजार में वृद्धि की संभावना बनी है, जिससे भारत का कुल निर्यात आने वाले वर्षों में 10 से 12 अरब डॉलर (लगभग 86 हजार करोड़ से 1.1 लाख करोड़ रुपये) तक बढ़ने का अनुमान है।
ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर का बयान
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस डील को “ऐतिहासिक” बताते हुए कहा कि इससे ब्रिटेन में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और निवेश में इजाफा होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच सालाना व्यापार 3 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है। इसके साथ ही 70 हजार करोड़ रुपये के नए व्यापारिक सौदों को मंजूरी भी दी गई है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि यह समझौता दोनों देशों के लिए एक ‘विन-विन’ स्थिति है, जहां भारत को बड़े लाभ मिलेंगे और ब्रिटेन को भी अपने व्यापारिक रिश्तों में मजबूती मिलेगी।
FTA से भारत को क्या मिलेगा लाभ?
भारत के लिए यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कई दृष्टियों से फायदेमंद साबित होगा। समझौते के तहत ब्रिटेन में भारत से विभिन्न उत्पादों, जैसे कि लेदर, फुटवियर, टेक्सटाइल, खिलौने, जेम्स और ज्वेलरी, पर एक्सपोर्ट ड्यूटी हटा दी जाएगी। इससे भारतीय उत्पाद ब्रिटेन में सस्ते हो जाएंगे और उनकी मांग बढ़ेगी। इसके परिणामस्वरूप देश के छोटे उद्योगों को लाभ मिलेगा, खासकर उन उद्योगों को जो श्रम-आधारित उत्पाद बनाते हैं।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत-ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना किया जाए, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) क्या है?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) एक व्यापार समझौता होता है, जो दो या दो से अधिक देशों के बीच होता है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात को आसान बनाना होता है। FTA के तहत दोनों देशों के बीच टैक्स या ड्यूटी को बहुत कम कर दिया जाता है या पूरी तरह हटा लिया जाता है। इससे कंपनियों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है, जिससे उत्पादों की कीमत कम होती है और उपभोक्ताओं को फायदा होता है।