विंडहोक : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एंशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस” प्रदान किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री ने नामीबिया की संसद को संबोधित करते हुए लोकतंत्र, मित्रता और संविधान की सर्वोच्चता पर बल दिया।
प्रधानमंत्री मोदी इस सम्मान को पाने वाले पहले भारतीय नेता बने हैं। उन्होंने यह सम्मान भारत और नामीबिया के बीच अटूट मित्रता को समर्पित किया और कहा “सच्चे दोस्त की पहचान मुश्किल होती है, पर भारत और नामीबिया ने संघर्ष के दिनों से एक-दूसरे का साथ निभाया है।”
संविधान से बड़ा कोई नहीं: मोदी का संबोधन
पीएम मोदी ने संसद में कहा कि किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत उसका संविधान होता है। उन्होंने नामीबिया के लोगों को उनके लोकतांत्रिक मूल्यों, संघर्ष और प्रगति के लिए बधाई दी और कहा “हमारी मित्रता केवल राजनीति पर आधारित नहीं है, बल्कि साझा संघर्ष, सहयोग और विश्वास से बनी है।”
उन्होंने कहा कि भारत और नामीबिया के संबंध राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर हैं और ये लोकतंत्र, विकास और समृद्धि के साझा विजन पर आधारित हैं। प्रधानमंत्री ने भविष्य में भी एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
सम्मान को भारत-नामीबिया मित्रता को किया समर्पित
नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा ने पीएम मोदी को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया। मोदी ने इसे दोनों देशों की जनता और युवा पीढ़ियों की प्रेरणा के रूप में स्वीकार किया और कहा कि यह सम्मान संघर्ष और साहस के प्रतीक है।
एक अनोखा प्रतीक: वेल्वित्चिया मिराबिलिस
यह पुरस्कार नामीबिया के प्राचीन रेगिस्तानी पौधे “वेल्वित्चिया मिराबिलिस” के नाम पर है, जो वहां के लोगों की लचीलापन, दीर्घायु और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है। यह सम्मान वर्ष 1995 में स्थापित किया गया था, जो विशिष्ट नेतृत्व और सेवा को मान्यता देता है।
विदेश मंत्रालय ने बताया मील का पत्थर
भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे भारत-नामीबिया संबंधों में एक नया अध्याय बताया और कहा कि यह सम्मान दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और साझेदारी का प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह इस विदेश दौरे का चौथा और अब तक का 27वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है, जो उनकी वैश्विक भूमिका को दर्शाता है।