पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष असीम मुनीर की हालिया अमेरिका यात्रा के बाद अब पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ज़ाहिद महमूद भी अमेरिका दौरे पर पहुंचे। यह एक दशक बाद किसी सक्रिय पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख की पहली अमेरिकी यात्रा थी, जो द्विपक्षीय सैन्य संबंधों में नई ऊर्जा का संकेत देती है।
हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप से उन्हें व्यक्तिगत मेज़बानी नहीं मिली, लेकिन पेंटागन में अमेरिकी सैन्य अधिकारियों से उनकी मुलाकातें काफी अहम रहीं। इस दौरान दोनों देशों के बीच उन्नत सैन्य प्रशिक्षण, संयुक्त युद्धाभ्यास, ड्रोन तकनीक और F-16 विमानों की अपग्रेडिंग व मेंटेनेंस जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई।
अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान लंबे समय से अमेरिकी वायुसेना से प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्राप्त करता रहा है। इस यात्रा में भी यही सहयोग और गहरा करने की दिशा में प्रयास किए गए।
पाकिस्तानी वायुसेना के अनुसार, ज़ाहिद महमूद ने अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठानों का दौरा किया और अंतरराष्ट्रीय मामलों की उपमंत्री केली एल. सेबोल्ट एवं अमेरिकी वायुसेना प्रमुख जनरल डेविड डब्ल्यू. एलोन से मुलाकात की। दोनों पक्षों ने भविष्य में उच्च स्तरीय सैन्य संबंधों को लेकर सहमति जताई है।
यह यात्रा ऐसे समय पर हुई है जब दक्षिण एशिया की रणनीतिक स्थिति लगातार बदल रही है और अमेरिका चीन के प्रभाव को संतुलित करने, आतंकवाद नियंत्रण और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने की नीति पर काम कर रहा है।
भारत के लिए यह दौरा सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, रणनीतिक दृष्टि से भी अहम है। अमेरिका भले ही भारत को अपनी Indo-Pacific नीति का मुख्य साझेदार मानता है, लेकिन पाकिस्तान के साथ सैन्य बातचीत बनाए रखकर वह दक्षिण एशिया में संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस यात्रा के दीर्घकालिक परिणाम भारत के हितों पर असर डाल सकते हैं, खासकर यदि पाकिस्तान की सैन्य क्षमताएं अमेरिकी सहायता से और उन्नत होती हैं।
इसलिए भारत के रणनीतिक विश्लेषकों और रक्षा नीति निर्माताओं को इस दौरे के हर पहलू पर सतर्क नज़र बनाए रखनी होगी। यह यात्रा अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में एक नया अध्याय भी खोल सकती है और दक्षिण एशिया की सुरक्षा संरचना में संभावित बदलावों का संकेत भी।