📍 नई दिल्ली | 23 अप्रैल 2025
पहलगाम आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत के बाद भारत में जबरदस्त राजनीतिक और सैन्य हलचल शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा बीच में छोड़कर स्वदेश वापसी कर ली है। उधर गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर रवाना हो चुके हैं और लगातार हाई लेवल बैठकें जारी हैं। इसी बीच पाकिस्तान की ओर से अजीबोगरीब प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं—जिससे साफ हो गया है कि पाकिस्तान दबाव में है और घबराया हुआ है।
🛑 पाकिस्तान ने क्यों बढ़ाई बॉर्डर पर गश्त?
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी वायुसेना को अलर्ट मोड पर रखा गया है। इसके साथ ही भारत-पाक सीमा पर गश्त भी बढ़ा दी गई है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों ने अपने डिफेंस मोड को एक्टिव कर दिया है।
🎙️ पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का बयान: “हमारा कोई लेना-देना नहीं”
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि पाकिस्तान का इस हमले से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा:
“हम हर आतंकी घटना की निंदा करते हैं। कश्मीर, नागालैंड, मणिपुर जैसे राज्यों में जो हो रहा है, वह स्थानीय विद्रोह है। ये भारत की अपनी आंतरिक समस्याएं हैं।”
आसिफ ने उलटे भारत पर बलूचिस्तान में हस्तक्षेप का आरोप लगा दिया और कहा कि उनके पास भारत की भूमिका के सबूत हैं।
🔥 भारत की रणनीति में आक्रामक बदलाव
- पीएम मोदी का अचानक लौटना इस बात का संकेत है कि भारत इस आतंकी हमले को सिर्फ एक घटना के तौर पर नहीं देख रहा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, RAW, IB और सेना के उच्चाधिकारियों के साथ आपात बैठकें जारी हैं।
- भारत की ओर से कूटनीतिक स्तर पर भी एक बड़ा कदम उठाया जा सकता है।
📢 विश्व स्तर पर समर्थन
- अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान समेत कई देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है।
- अमेरिका ने कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन ज़ोन के तौर पर सुरक्षित बनाए रखने की अपील की है।
🔍 विश्लेषण: पाकिस्तान की घबराहट क्यों?
- TRF द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा है।
- भारत ने पहले भी संयुक्त राष्ट्र और FATF में TRF और लश्कर-ए-तैयबा के लिंक के सबूत पेश किए हैं।
- अब भारत अगर सैन्य या कूटनीतिक स्तर पर जवाबी कार्रवाई करता है, तो पाकिस्तान पहले से ही डिफेंसिव पोजिशन में है।
📌 निष्कर्ष:
पहलगाम हमला न केवल एक आतंकी घटना है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक नेतृत्व और विदेश नीति की परीक्षा है। पाकिस्तान की घबराहट साफ बता रही है कि भारत का रुख अब पहले जैसा ‘रोकथाम तक सीमित’ नहीं रहेगा।
🔗 आपका क्या मानना है? क्या भारत को पाकिस्तान पर सीधा प्रहार करना चाहिए या कूटनीतिक दबाव बनाकर TRF जैसे संगठनों को पूरी तरह कुचल देना चाहिए? नीचे कमेंट करें।